
भारत-चीन के बीच तनाव बरकरार है, ऐसे में इसको शांत करने के लिए हर कदम उठाये जा रहे है. आपको बता दें कि लद्दाख में चीन से लगी सीमा में पांच मई से जारी गतिरोध का कोई ठोस हल नहीं निकला है। विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के दस सितंबर को लगभग ढाई घंटे चर्चा हुई।
आपको बता दें कि बातचीत में दोनों देशों के नेताओं ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएएसी) पर शांति और सद्भाव के प्रयासों पर जोर दिया। भारत ने मई से लेकर अब तक चीन द्वारा की गई हरकत पर विरोध भी जताया। बातचीत के बाद पांच बिंदुओं पर सहमति भी बन गई है।
गौरतलब है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वांग यी से पूछा कि आखिर चीन ने एलएएसी के पास फौजी तैनाती क्यों बढ़ाई है। 1993 और 1996 में दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए सहमति बनी थी और समझौता हुआ था। विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि चीन को लेकर भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है।
वहीँ भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के पक्ष में भी नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि एलएसी के तनाव का असर दोनों देशों के रिश्तों पर भी पड़ सकता है। इसलिए चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करते हुए अपनी फौज को पीछे बुलाना चाहिए।
लेकिन भविष्य क्या है?
वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोआडिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) अपना काम करता रहा। संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों में सहमति के बाद लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के सैन्य अधिकारी बैठक करते रहे। इसलिए जब तक चीन की सेना पीछे नहीं हटती तब कुछ नहीं कहा जा सकता है।