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(पवन सिंह)
फ़लक को छूने की ख़्वाहिश हज़ार दिल में लिए कि सरगिरां है हमारी उड़ान भी हम भी.."नबील अहमद "नबील" साहेब का यह शेर है‌ जो दूरदर्शन की नई अंगड़ाईयों पर मौजू है..!! दूरदर्शन अब अपनी परंपरागत छवि को बरकरार रखते हुए एक नई लड़ाई के लिए मैदान में उतर चुका है। दूरदर्शन जिस तरह के विविधतापूर्ण कंटेंट्स को लेकर "वेव्स" के जरिए इंटरटेनमेंट के विशालकाय समर में उतरा है..उसने तमाम ओटीटी प्लेटफार्मों में खलबली मचा दी है। 

वेब्स ओटीटी, ने बेहतरीन कंटेंट्स के साथ मनोरंजन के क्षेत्र में एक ऐसी प्रतिस्पर्धा का बिगुल फूंक दिया है कि आने वाले एक साल के भीतर अन्य ओटीटी प्लेटफार्मों को भी यह सोचना पड़ेगा कि केवल गालियां, हिंसा, बलात्कार, सेक्स ही ओटीटी का मूल विषय नहीं हो सकता..बल्कि तमाम ऐसे सब्जेक्ट हैं जिन्हें न तो छिपकर देखने की जरूरत है और‌ न कान में लीड लगाकर।

बदलाव की इस आहट से दिल्ली में मंडी हाउस के आसपास फैला सन्नाटा अब टूटने लगा है। एक बार फिर से मंडी हाउस के बाहर निर्माता-निर्देशकों और कलाकारों की आवा-जाही शुरू हो गई है।‌ मंडी हाउस एक बार फिर से 1984 और 1996 के उस वक्त की याद दिलाने लगा है जब यहां पैर रखने की जगह नहीं हुआ करती थी। धारावाहिक "हम लोग" जो कि 7 जुलाई, 1984 को और "बुनियाद" जो कि 1986 में प्रसारित हुए थे, ने मंडी हाउस को स्टोरी राइटरों, कलाकारों, निर्माता-निर्देशकों...के लिहाज से किसी धार्मिक स्थल के रूप में बदल दिया था। 

प्रादेशिक स्तर पर एक नया प्लेटफॉर्म खुला और नीम का पेड़, बीबी नातियों वाली.. जैसे धारावाहिकों ने कंटेंट के लिहाज से एक अलग ही लड़ाई शुरू कर दी थी। वह दौर क्या एक बार फिर लौटेगा? ..और फिर से वही दौर लौटने की आहट ने मंडी हाउस के आसपास के कई थिएटरों- कमानी ऑडिटोरियम, एलटीजी ऑडिटोरियम, श्री राम सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स, त्रिवेणी कला संगम में भी थिरकन पैदा कर दी है..क्योंकि वेव्स ने सैकड़ों कलाकारों को उम्मीदों से भर दिया है। वह ऐसे नये कंटेंट्स की‌ तलाश में लग गया है जिसे परिवार के साथ भी बैठ कर देखा जा सकता है। 

दरकते और दहकते हुए सामाजिक ढ़ांचे को फिर से मजबूत करने की दशा व दिशा के साथ वेव्स ओटीटी की एक नई परिभाषा गढ़ना चाहता है। वेव्स भी मोहब्बत की कहानियां ओटीटी पर उतारना चाहता है लेकिन नजाकत और नफासत के साथ। वेव्स ओटीटी की पहचान बन चुके "गालियों और सेक्स" व अश्लीलता से बजबजाये हुए "आइटम सांग" से इतर नये कंटेंट लेकर आ रहा है। कुछ अतीत कुछ वर्तमान और कुछ भविष्य के कथानकों को समेटकर वेब्स ओटीटी, यह मानक गढ़ना चाहता है कि "चोली के पीछे क्या है"..से इतर कुछ ऐसा गढ़ा-बुना-रचा जाए जो बेटा अपने पिता के साथ और दादा, पोते के साथ देख सके..!! 

इसके अलावा वेव्स ओटीटी प्लेटफार्म की सबसे बड़ी ताकत है मुफ्त में मनोरंजन प्रदान करना। जिसमें फिल्में, वेब सीरीज, टीवी शो और लाइव टीवी चैनल सब कुछ शामिल हैं..!! भारत में करीब 57 ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं...भारत में डिज्नी प्लस हॉटस्टार, अमेजन प्राइम वीडियो, नेटफ्लिक्स, ऑल्ट बालाजी, जियो सिनेमा, जी5, Aha, Hoichoi, सोनी लिव जैसे कई पॉपुलर ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं और इन सभी प्लेटफॉर्म्स के अलग-अलग प्लान्स हैं.. जबकि वेव्स ओटीटी का कोई प्लान नहीं है, वह मुफ्त है! ये सारे प्लेटफार्म जहां बोल्ड कंटेंट्स के साथ-साथ, अपराध और भ्रष्टाचार पर जबरदस्त हमलावर हैं और युवाओं के बीच इसीलिए जगह बना चुके हैं ऐसे में  वेव्स ओटीटी इस लड़ाई को कैसे लड़ेगा, यह देखने की बात होगी..!! मुंबई के एक प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक का कहना है वेव्स के पास खुला आसमान है। वो आसानी से महिलाओं, अधेड़ उम्र व बुजुर्ग दर्शकों को अपने कंटेंट के साथ जोड़ सकता है..उसे मेहनत करनी है युवाओं को जोड़ने की..!! इसके लिए बेहतर होगा कि व्यवस्था पर हास्य-व्यंग्य के जरिए हमलावर हों..!! जैसे फिर से आफिस-आफिस जैसा धारावाहिक नये रूप में लिया गया है। 

दूरदर्शन ने अपने दौर में तमाम ऐसे कलाकारों, निर्माता-निर्देशकों को मौका दिया जो आगे चलकर फिल्म इंडस्ट्रीज में छा गये। कुछ नाम मुझे याद आते हैं  म्युजिक-मस्ती और धूम के जरिए नोमान मलिक ने अन्नू कपूर को मौका दिया..सागर सरहदी ने 1977 में ये इश्क नहीं आसां बनाया और फिर फिल्में
कभी कभी", "सिलसिला", "चांदनी", "बाजार", "दीवाना", "कहो ना... प्यार है" जैसी फिल्मों की पटकथा लिखी और "बाजार" फिल्म का निर्देशन भी किया। फौजी धारावाहिक से शाहरुख खान और कच्ची धूप से भाग्य-श्री का भाग्योदय हुआ। रामानंद सागर, अरुण गोविल, दीपिका चिखलिया, सुनील लाहिरी, बाल कलाकार मयूरेश क्षत्रपति, सुधीर दलवी, और विजयकान्त की पहचान दूरदर्शन से बनी। इसके अलावा 
मोहन गोखले: "मिस्टर योगी" और "भारत एक खोज" जैसे धारावाहिकों में अभिनय किया। 
जसपाल भट्टी: "फ्लॉप शो" जैसे धारावाहिकों के माध्यम से हास्य कलाकार के रूप में प्रसिद्ध हुए। पंकज कपूर:
"कर्मचक्र" और "ऑफिस ऑफिस" जैसे धारावाहिकों में अभिनय किया। शबाना आज़मी:"कथा सागर" और "अधूरा आदमी" जैसे धारावाहिकों में अभिनय किया।.. कहानीकारों, कलाकारों, निर्माता-निर्देशकों के लिए वेव्स अब एक नई उम्मीद लेकर आया है..!! 

सूत्रों के अनुसार वेव्स अब मेगा धारावाहिक लेकर आ रहा है जिसमें फिल्मी दुनियां के बड़े चेहरे शामिल हो रहे हैं..जो एक उम्मीद जगाते हैं कि‌ वेव्स ओटीटी, ओटीटी प्लेटफार्मों पर अपनी एक बड़ी पहचान बनाने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है।फ़हीम जोगापुरी साहेब का एक शेर है-
"वाक़िफ़ कहां ज़माना हमारी उड़ान से
वो और थे जो हार गए आसमान से"

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