
Up Kiran, Digital Desk: टेक्नोलॉजी की दुनिया में आजकल बस एक ही सवाल गूंज रहा है- क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इंसानों की नौकरियां छीन लेगा? और इस बहस के केंद्र में हैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर। ChatGPT के आने के बाद से ही यह डर बढ़ गया था कि अब AI खुद ही कोडिंग कर लेगा, तो इंसानों की क्या जरूरत होगी।
अब इस डर को और बढ़ाते हुए, AI कंपनी एन्थ्रोपिक (Anthropic) के CEO डारियो अमोदेई (Dario Amodei) ने एक ऐसा खुलासा किया है, जो सुनने में बेहद चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा है कि उनकी कंपनी में अब 90% कोड उनका अपना AI मॉडल 'क्लॉड' (Claude) लिखता है!
यह सुनने के बाद किसी भी सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पैरों तले जमीन खिसक सकती है। 90% कोड! इसका मतलब तो यही हुआ कि अब इंजीनियरों का काम लगभग खत्म ही हो गया है।
लेकिन रुकिए... कहानी में एक बड़ा ट्विस्ट है!
इससे पहले कि आप घबराएं, डारियो अमोदेई ने इसके आगे जो कहा, वह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भले ही AI 90% कोड लिख रहा हो, लेकिन इंसानी इंजीनियर आज भी "अपरिहार्य" (indispensable) हैं, यानी उनके बिना काम चल ही नहीं सकता।
तो फिर 10% में ऐसा क्या खास है: अमोदेई ने समझाया कि AI यानी 'क्लॉड' जो 90% कोड लिखता है, वह ज्यादातर रूटीन, दोहराव वाला और आसान काम होता है। असली खेल तो बाकी बचे 10% में है। इंसानी इंजीनियर अब अपना समय और दिमाग उन 10% सबसे महत्वपूर्ण, créative और मुश्किल कामों में लगाते हैं, जिन्हें AI नहीं कर सकता। जैसे कि:
AI को यह बताना कि क्या बनाना है और कैसा बनाना है।
AI द्वारा लिखे गए कोड की जांच करना और उसमें गलतियों को सुधारना।
एक बिल्कुल नया और original आइडिया सोचना।
सिस्टम के आर्किटेक्चर को डिजाइन करना।
आसान शब्दों में, AI एक बहुत ही काबिल 'जूनियर कोडर' बन गया है, लेकिन प्रोजेक्ट का 'बॉस', 'मैनेजर' और 'आर्किटेक्ट' आज भी इंसान ही है। AI गधा-मजदूरी कर रहा है, ताकि इंसान स्मार्ट काम कर सकें।
यह बयान हमें भविष्य की एक झलक दिखाता है, जहां AI और इंसान दुश्मन नहीं, बल्कि पार्टनर होंगे। AI हमारा काम छीनेगा नहीं, बल्कि हमारे काम करने के तरीके को हमेशा के लिए बदल देगा।