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UP News: तीन साल पहले रिलीज हुई बॉलीवुड मूवी 'कागज' सिस्टम से परेशान एक जिंदा शख्स की कहानी है, जिसे सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया था। मूवी की स्क्रिप्ट की तरह ही एक किसान हरनाथ पाल के साथ भी ऐसा ही हुआ। सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित हो चुका ये ग्रामीण आठ साल से खुद को जिंदा साबित करने के लिए दर-दर भटक रहा है। इस वजह से उसे किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

हरनाथ 2016 से खुद को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं

जानकारी के मुताबिक, जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर तिर्वा तहसील क्षेत्र के गांव वाहिदपुर मौजा सौसरी निवासी  हरनाथ पाल (60) को सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया है। जब भी वह किसी काम के लिए सरकारी दफ्तर जाते हैं तो उन्हें मृत घोषित कर फाइल बंद कर दी जाती है। 2016-17 से वो खुद को जिंदा साबित करने के लिए जिले से लेकर तहसील स्तर तक के अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं।

बहुत से कर्मचारियों ने तो उसे जिंदा करने का भरोसा भी दिलाया है। इसके बाद जब वह किसान सम्मान निधि के लिए आवेदन लेकर वहां गया तो उसे मृत घोषित कर दिया गया और सम्मान निधि देने से मना कर दिया गया। आवेदन खारिज कर दिया गया। इसके चलते वह यह साबित करने की कोशिश कर रहा है कि वह जिंदा है।

कलेक्ट्रेट पहुंचे हरनाथ पाल ने इस संबंध में जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ला को शिकायती पत्र दिया है और मांग की है कि उसे जीवित घोषित किया जाए। शिकायती पत्र में उसने कहा कि 2016-17 में उसे सरकारी दस्तावेजों में मृत दिखा दिया गया। जबकि वह जीवित है। उसने लिखा कि उसने किसान सम्मान निधि के लिए आवेदन किया था। सभी किसानों को पैसा मिल गया मगर उसका पैसा नहीं आया।

इस पर जब वह संबंधित कार्यालय कृषि भवन पहुंचे तो वहां उन्हें बताया गया कि आवेदन में वह मृत हैं। इस पर वह तहसील पहुंचे जहां उन्हें बताया गया कि आपके कागजात दुरुस्त कर दिए गए हैं। इसके बाद वह फिर संबंधित कार्यालय गए मगर उन्हें कोई लाभ नहीं मिला।

किसानों को नहीं मिल रहा कोई सरकारी लाभ

पीड़ित किसान ने बताया कि उसे मृत घोषित करने के पीछे का कारण बताते हुए आज तक उसे कोई सरकारी लाभ नहीं दिया गया है। पीड़ित किसान ने जिलाधिकारी से मांग की है कि इसमें जो भी दोषी हो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाए। जिससे उसे सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। 

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