देहरादून॥ उत्तराखण्ड के ऊधम सिंह नगर और नैनीताल समेत कई जिलों में बेमौसम की बरसात हो गई है। इस बारिश ने किसानों के चेहरे मुरझा दिए हैं। दरअसल, बारिश के साथ-साथ आए आंधी-तूफान ने खेतों में खड़ी गेहूं की फसल को तबाह कर दिया है। इस कारण एक तरफ जहां किसान सरकार की ओर से उचित मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
वहीं दूसरी ओर जिन किसानों ने बैंक से कर्ज लेकर फसल बोई थी, उन्हें कर्ज चुकाने की चिंता सता रही है। हल्द्वानी के गौलापार-किशनपुर के किसान राजेंद्र सिंह ने कहा कि साल 1977 के बाद इस तरह का मौसम देखने को मिल रहा है। जिसमें बारिश, ओलावृष्टि और आंधी-तूफान सबकुछ है। राजेंद्र सिंह ने कहा इस साल अभी तक गेहूं में ढंग से दाना भी नहीं लग सका है।
गांव के प्रधान किशोर चुफाल बताते हैं कि खड़ा गेहूं आंधी-तूफान के कारण गिर चुका है। ये गेहूं अब किसी काम का नहीं, क्योंकि इसका न चारा बन सकता है और न ही इससे गेहूं मिलेगा। किसानों के अनुसार, अब सबसे बड़ा संकट कर्ज लौटाने का है। क्योंकि आने वाले दिनों में बैंक ऋण वापसी की मांग करने लगेंगे। किसानों ने बताया कि बारिश से जो नुकसान होना था वह हो चुका और अब सरकार यदि उचित मुआवजा दे दे, तो उनकी आर्थिक मदद हो जाएगी।
इधर, रुड़की इलाके के किसान भी पिछले दो दिनों से रुक-रुककर हो रही बारिश से परेशान हैं। किसानों की गेहूं, गन्ना, सरसों सहित खड़ी फसलों को 70 फीसदी नुकसान हुआ है। इस कारण किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। एक ओर सरकार ने उनका बकाया गन्ना भुगतान नहीं दिया है, दूसरी तरफ प्रकृति की मार भी झेलनी पड़ रही है। वहीं, आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक ने बताया कि 1993 में भी मार्च में 95 मिमी बारिश हुई थी। इस साल भी मार्च में 78 मिमी बारिश होने की संभावना है, जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है।