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बांसुरी का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है, जो प्रेम और शांति का संदेश देती है। कृष्ण हमेशा बांसुरी को अपने साथ रखते थे। बांस की बनी बांसुरी ही उनकी शक्ति थी। वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस घर में बांस की बांसुरी होती है, उस घर में भगवान श्रीकृष्ण वास करते हैं और यशोदा नंदन की कृपा जातक पर सदैव बनी रहेगी। घर परिवार में प्रेम के साथ ही सुख-समृद्धि भी बनी रहेगी।
उल्लेखनीय यही कि बांसुरी भगवान श्रीकृष्ण को अतिप्रिय है। इसलिए इसे पवित्र और पूज्यनीय माना गया है। बांसुरी सम्मोहन एवं प्रसन्नता का प्रतीक मानी गई है। मनुष्य क्या पशु व पक्षी भी इसकी मधुर धुन से आकर्षित हो जाते हैं। बांसुरी बजाने से निकलने वाली वाली ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। बांसुरी के स्वर से प्रेम बरसाता है और मन में आनंद की अनुभूति होती है। जिस घर में बांसुरी के स्वर गूंजते ,उस परिवार में परस्पर प्रेम और उल्लास अनवरत बना रहता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार बांसुरी शांति व समृद्धि का प्रतीक है, इसलिए घर के मुख्य द्वार पर बांस की सुन्दर सी बांसुरी लटकाना बेहद शुभ होता है। इससे परिवार पर श्रीकृष्ण की कृपा से आर्थिक तंगी दूर होगी और मां लक्ष्मी की कृपा से धनवर्षा होगी। इसी तरह मानसिक तनाव और पति-पत्नी के बीच अनबन को दूर करने के लिए सोते समय सिरहाने बांसुरी रखने से ये समस्याएं छूमंतर हो जाएंगी।
घर में बांसुरी को ऐसे स्थान पर रखना चाहिए कि उसपर बार-बार आपकी नजर पड़े। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और आपको कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। इसी तरह यदि घर में कोई सदस्य बीमार रहता है, तो उसके कमरे के दरवाजे के ऊपर अथवा सिरहाने बांसुरी रखने से चमत्कारिक लाभ होगा।
इसी तरह व्यापार आदि में लाभ के लिए अपने कार्यालय या दुकान के मुख्य द्वार पर दो बांसुरी लगाना शुभ होगा। आध्यात्मिक उन्नति एवं साधना में सफलता के लिए पूजा घर के दरवाजे पर बांसुरी लगाने से शीघ्र सफलता प्राप्त होगी। विशेष ध्यान रखने योग्य बात यह है कि बांसुरी को कभी भी सीधी नहीं लगानी चाहिए। बांसुरी को तिरछा लगाना शुभ परिणाम देता है। भगवान श्रीकृष्ण भी तिरछे खड़े होकर ही बांसुरी बजाते थे।  
 
 
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