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भागदौड़ भरी जीवनशैली, बदलती खान-पान की आदतें और उससे होने वाली बीमारियों ने आम लोगों की जिंदगी को और भी बदतर बना दिया है। परिवारों को स्वास्थ्य और उपचार के लिए कुछ पैसे बचाने होंगे। दुर्घटना बीमा या मेडिक्लेम का विकल्प लोग अपना रहे हैं। मगर भारत की चिकित्सा मुद्रास्फीति 14 प्रतिशत तक बढ़ने से आम आदमी पर स्वास्थ्य देखरेख का बोझ और बढ़ेगा।

इंश्योरटेक सेक्टर की कंपनी प्लम की कॉरपोरेट इंडिया हेल्थ रिपोर्ट 2013 में खुलासा हुआ है कि देश की महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है. इसमें कहा गया है कि भारत में दवाओं और परीक्षणों की दर एशिया में सबसे अधिक है। भारतीय नागरिक न केवल स्वास्थ्य बीमा बल्कि नियमित स्वास्थ्य जांच को लेकर भी बिल्कुल जागरूक नहीं हैं।

9 करोड़ लोग सीधे तौर पर प्रभावित

दवाओं और उपचार के महंगे होने का सीधा असर देश के 9 करोड़ लोगों पर पड़ सकता है. इन लोगों की कमाई का 10 फीसदी हिस्सा सिर्फ मेडिकल बीमारियों और उपचार पर ही खर्च हो जाता है। 20 से 30 आयु वर्ग के युवाओं में कंपनियों द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य बीमा आदि सुविधाओं के बारे में पर्याप्त जागरूकता नहीं है।

 

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