हर इंसान में कुछ गुण तो कुछ अवगुण होते हैं। व्यक्ति अपने गुणों के चलते समाज में मान-सम्मान प्राप्त करता है जबकि उसके अवगुण उसे एक असफल और उपेक्षित जीवन की तरफ ले जाते हैं। महतमा विदुर (Vidur Niti) कहते हैं कि अगर व्यक्ति अपने इन अवगुणों को पहचान कर उसे दूर कर लें वह भी सफलता की सीढ़ियां चढ़ सकता है। महात्मा विदुर की विदुर नीति में व्यक्ति के उन बुरी आदतों के बारे में बताया गया है जो इसे बर्बादी के रास्ते पर ले जाती हैं। विदुर नीति के अनुसार व्यक्ति इन गलत आदतों की वजह से जीवन में कभी सुखी नहीं रह पाता है।
श्लोक
अतिमानो अतिवादश्च तथात्यागो नराधिप। क्रोधश्चात्मविधित्सा च मित्रद्रोह श्च तानि षट्।।
एत एवासयस्तीक्ष्णा: कृन्तन्यायूंषि देहिनाम्। एतानि मानवान् घ्नन्ति न मृत्युर्भद्रमस्तु ते।।
घमंड/ अभिमानी
विदुर नीति (Vidur Niti) में कहा गया है कि जो व्यक्ति हर समय घमंड में रहता है और अपनी ही तारीफ करता रहता है। वह घमंडी और अभिमानी होता है। ये लोग खुद को दूसरों से श्रेष्ठ समझते हैं। यही वजह है कि ये कभी सुखी से नहीं रह पाते।
क्रोध
महात्मा विदुर (Vidur Niti) कहते हैं कि क्रोध इंसान का सबसे बड़ा शुत्र होता है। क्रोध में व्यक्ति की सोचने और समझने की शक्ति ख़त्म हो जाती है और वह कुछ ऐसा कर बैठता है, जिससे उसी का नुकसान हो जाता है। वे कहते हैं कि व्यक्ति को कभी क्रोध नहीं करना चाहिए। उसे हमेशा शांत भाव में रहना चाहिए।
ज्यादा बोलना
व्यक्ति को हमेशा कम और सोच समझकर बोलना चाहिए। ज्यादा बोलने से कई बार मुंह से कुछ ऐसी बातें निकल जाती हैं, जो सामने वाले को बुरी लग सकती है। विदुर नीति में कहा गया है कि ज्यादा बोलने की आदत व्यक्ति को बर्बादी की तरफ लेकर जाती है।(Vidur Niti)
त्याग की कमी
जिन व्यक्तियों में त्याग और समर्पण की भावना नहीं होती है। समाज में उन्हें सम्मान नहीं मिलता है। ऐसा विदुर निति में कहा गया है।
दोस्ती में धोखा देना
महाभारत काल के बड़े विद्वानों में शुमार महात्मा विदुर कहते हैं कि जो लोग सच्चे मित्रों को धोखा देते हैं, वे ज्यादा दिनों तक खुश नहीं रह सकते हैं। (Vidur Niti)
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