विजय दशमी या दशहरा उत्सव आते ही रावण के घमंड और अहंकार याद आते हैं । वह रावण जिसने मरते दम तक अपना अहंकार कम नहीं किया । जब-जब रावण का नाम लिए आता है तब बुराई पर अच्छाई की जीत याद आती है । लेकिन इस बार देश में कोरोना महामारी सबसे बड़ी अभिशाप बन गई है। ‘इस महामारी ने देश ही नहीं पूरे विश्व भर में लोगों का जीवन फीका कर दिया है। कोरोना संक्रमण काल में लोग डर-डर कर जिंदगी जी रहे हैं । आठ महीने पहले शुरू हुई दहशत आज भी जारी है । लोगों को अभी भी इंतजार है जिंदगी कब पटरी पर लौटेगी’। खैर यह तो दैवीय आपदा है।
अब बात करेंगे विजयदशमी यानी दशहरा उत्सव की । आज यानी शनिवार को शारदीय नवरात्रि समापन की ओर बढ़ रही है, लेकिन दशहरा उत्सव की रौनक देशभर में दिखाई नहीं पड़ रही । कोरोना की वजह से लोगों में इस बार रावण को जलाने या जलते हुए देखने में कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है । सदियों के बाद यह पहला अवसर होगा जब रावण दहन की रंगत नजर नहीं आएगी । दशहरा का त्योहार पूरे देश में बड़े जोर-शोर से मनाया जाता है। इस त्योहार के रंग में हर शहर अपनी तरह से रंग जाता है। हर शहर का दशहरा किसी बात का प्रतीक है। इस बार रावण के पुतले का साइज आधा कर दिया गया है ।
आपको बता दें कि दिल्ली की रामलीला मैदान पर हर वर्ष होने वाले दशहरे आयोजन में बहुत से गणमान्य लोग पहुंचते रहे हैं । लेकिन इस बार सन्नाटा नजर आएगा। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और कर्नाटक के मैसूर का विश्व प्रसिद्ध दशहरे की रौनक भी गायब रहेगी । पहले बात करेंगे दिल्ली के दशहरा उत्सव की। कोविड-19 महामारी के बीच अनुमति लंबित रहने के कारण इस बार दशहरा में दिल्ली की बड़ी रामलीला समितियों ने रावण दहण का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है।
मैसूर शहर में दशहरा का त्योहार बहुत ही भव्य तरीके से मनाया जाता है। इस त्योहार को यहां के लोग दसरा या नबाबबा कहते हैं। इस त्योहार में मैसूर के सबसे मशहूर शाही वोडेयार परिवार सहित पूरा शहर शामिल होता है। मैसूर पैलेस को 10 दिनों तक सजा कर रखा जाता है। साथ ही यहां सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा महल के मैदान के सामने एक दसारा प्रदर्शन का भी आयोजन किया जाता है।
कोरोना संक्रमण काल के चलते इस बार विजयादशमी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संच के स्वयंसेवकों की सड़कों पर धमक देखने को नहीं मिलेगी। कोरोना संक्रमण के कारण संघ ने इस बार पथ संचलन नहीं निकालने का निर्णय लिया है। पूरे देश में शाखाओं पर छोटे स्तर पर कार्यक्रम करने का निर्णय लिया गया है। संघ के मुख्यालय नागपुर में भी प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार बड़ा कार्यक्रम नहीं होगा।
दशहरे के दिन प्रभु श्री राम माता सीता को रावण की कैद से छुड़ाकर लाए थे। रावण की बुराई पर भगवान राम की अच्छाई के विजय की खुशी में हर साल हम दशहरा मनाते हैं। इसके साथ ही मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर देवी-देवताओं और भक्तों पर उपकार भी किया था। मान्यता है कि भगवान श्री राम ने नवरात्र के नौ दिन तक मां दुर्गा की उपासना की थी।
वहीं दसवें दिन मां दुर्गा का आशीर्वाद पाकर रावण का अंत किया था। तब से ही दशहरा मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि के 10वें दिन और दीपावली से ठीक 20 दिन पहले दशहरा आता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को विजयदशमी-दशहरे का त्योहार मनाया जाता है।
बता दें कि इस बार दशहरा पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से दोपहर 3 बजकर 27 मिनट तक है। इस पूजा के लिए कुल दो घंटे और पंद्रह मिनट का समय है। इस दिन शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से दोपहर 2 बजकर 42 मिनट तक है। यह समय करीब 45 मिनट का है। दशहरे त्योहार पर व्यापारी वर्ग अपने फार्म पर पूजा-अर्चना करते हैं । इसके साथ ही क्षत्रिय समाज में अस्त्र-शस्त्र की पूजा करने की परंपरा रही है । सही मायने में यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है, खरीदारी के लिए भी इस दिन को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है ।