img

विधानसभा इलेक्शन के चलते राजस्थान में इस वक्त सियासी माहौल गर्म है। राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों के लिए 25 नवंबर को मतदान होगा। वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी। राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता बदलने की परंपरा को तोड़ने के लिए कांग्रेस ने कमर कस ली है। भारतीय जनता पार्टी ने दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए जोरदार मार्च किया है। किंतु जब चुनाव प्रचार जोरों पर है तो कांग्रेस के सामने एक अलग ही समस्या खड़ी हो गई है। राज्य में पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंत्री चुनाव लड़ने से मना कर रहे हैं।

एक तरफ टिकट और उम्मीदवार नहीं मिलने से नेता भाजपा से नाराज हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सरकार के मंत्री भी चुनाव मैदान में उतरने से कतरा रहे हैं। अशोक गहलोत सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री रहे हेमाराम चौधरी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर उनकी जगह किसी युवा नेता को प्रत्याशी बनाने की मांग की है।

हेमाराम चौधरी के बाद वर्तमान सरकार में कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने भी कहा है कि वह चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उन्होंने ये फैसला लिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री भरत सिंह ने भी चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है।

आपको बता दें कि हेमाराम चौधरी और लालचंद कटारिया की गिनती सीएम गहलोत के करीबियों में होती है। किंतु फिर भी सियासी कुनबो में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि वे चुनाव लड़ने से इनकार क्यों कर रहे हैं। हेमाराम चौधरी ने 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। किंतु बाद में मनाए जाने पर हेमाराम चौधरी चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए।

--Advertisement--