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राजधानी दिल्ली में 6 दिन बाद यमुना का जलस्तर घटने लगा है। जिसके बाद एक बार फिर राजधानी ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है। ‌लेकिन अभी भी दिल्ली में कई ऐसे इलाके हैं जहां पर जलभराव बना हुआ है। यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से धीरे-धीरे नीचे आता जा रहा है। 

वहीं दूसरी ओर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद  केजरीवाल ने रविवार को बताया कि दिल्ली सरकार बाढ़ प्रभावित परिवारों को 10-10 हजार रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने ट्विटर पर कहा कि यमुना किनारे रहने वाले कई गरीब परिवारों ने बाढ़ में अपने घर खो दिए हैं और कुछ ने अपना सारा सामान गंवा दिया है। 

साथ ही केजरीवाल ने घोषणा की है कि सरकार उन लोगों के लिए विशेष शिविर लगाएगी, जिनके महत्वपूर्ण दस्तावेज बाढ़ के पानी में बह गए हैं। जलस्तर बढ़ने के बाद राजधानी के 3 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट गुरुवार से बंद थे, जिन्हें फिर से चालू कर दिया गया है। एलजी ऑफिस ने आरोप लगाया है कि फ्लड कंट्रोल कमेटी की 2 साल से मीटिंग नहीं हुई है। इसके जवाब में आम आदमी ने कहा कि ये मीटिंग 6 जुलाई को हो गई थी।

बाढ़ नियंत्रण प्रयासों के बारे में केजरीवाल ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में जल स्तर को कम करने के लिए पंपों का उपयोग किया जा रहा है, विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग प्रगति हो रही है। उन्होंने कहा कि शौचालय और साफ पानी जैसी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्कूलों और धर्मशालाओं में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं।

उन्होंने रविवार को ट्वीट किया हमने बाढ़ से प्रभावित दिल्ली के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए स्कूलों में राहत शिविर स्थापित किए हैं। प्रभावित लोगों के लिए आवास के साथ-साथ भोजन, पानी और शौचालय की व्यवस्था की गई है। इस बीच, दिल्ली के शिक्षा विभाग ने रविवार को कहा कि यमुना नदी के आसपास स्थित निजी और सरकारी स्कूल 17 और 18 जुलाई को बंद रहेंगे। बता दें कि इस बार बारिश के बाद देश की राजधानी दिल्ली पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी। 

गौरतलब है कि राजधानी में इससे पहले ऐसी बाढ़ 1978 में आई थी, लेकिन उस समय शहर की जनसंख्या सिर्फ 30 लाख थी। आज ये करीब 2 करोड़ है। साथ ही नदी के किनारे रिहायशी इमारतें और नई बस्तियां बस गई हैं। ऐसे में यमुना से सटे इलाके में रहने वाले 25 हजार से ज्यादा लोगों को घर छोड़ कर शेल्टर होम में शरण लेना पड़ा है।

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