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चंद महीने बाद लोकसभा इलेक्शन होने हैं। इसके लिए तैयारियां अपने स्तर पर हर पार्टी में हो रही हैं। मगर भाजपा, कांग्रेस और अन्य पार्टियों से हमेशा की तरह एक कदम आगे चल रही है। इंडिया गठबंधन की मीटिंग के बाद सीट बंटवारे को लेकर सिर्फ चर्चा होने की बात हो रही है। इधर, भाजपा जनवरी के आखिर तक अपने प्रत्याशियों का ऐलान करना शुरू कर सकती है। ये फॉर्मूला भारतीय जनता पार्टी ने बीते विधानसभा इलेक्शन में एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी आजमाया था।

टिकट शेयरिंग के बाद विरोध को दूर करने के लिए भी पार्टी को अच्छा वक्त मिला। इस फॉर्मूले के नतीजे भी ऐसे आए जो किसी ने सोची नहीं थे। भाजपा तीनों प्रदेश में पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई। एक सूत्र ने इस मामले में कहा कि हमारे पक्ष में माहौल है और आगे चीजें और भी ज्यादा सुधरेंगी। लिहाजा ये सही वक्त है।

उन्होंने बताया कि राज्यसभा के बड़े नेताओं को भी लोकसभा के चुनावी रणभूमि में उतारा जाएगा। इससे राज्यसभा में भी नए लोगों के लिए जगह बनेगी। इससे पहले भाजपा पदाधिकारियों की दो दिवसीय मीटिंग में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्षों ने प्रेजेंटेशन दी थी, जिससे इस फॉर्मूले को लोकसभा में आजमाने का निर्णय लिया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, एक सूत्र ने कहा कि वक्त रहते फैसला लेना हमारे पक्ष में है। साथ ही उन लोगों के लिए भी शुरुआत का सही वक्त है जो बड़े नाम हैं और उपयोगी होते हुए भी मैदान में नहीं उतारे गए। उन्होंने कहा, इससे राज्यसभा में अन्य लोगों के लिए जगह बनेगी और संबंधित लोगों का कद भी बढ़ेगा। साथ ही चुनाव आयोग यानी ईसीआई की तरफ से कार्यक्रम जारी होने से पहले ही घोषणा करना जरुरी भी है। इसकी वजह यह भी है कि पार्टी की नजर में पहले प्रत्याशी की घोषणा करने का मतलब है जीत के सबसे नजदीक होना।

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