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Up Kiran, Digital Desk: दुनिया की जनसंख्या के बदलते परिदृश्य को देखने पर पता चलता है कि इंसान की संख्या ने पिछले दो सदियों में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। जहां कभी पृथ्वी पर एक अरब लोग थे, वहीं आज यह आंकड़ा आठ अरब के पार पहुंच चुका है। 1960 के दशक से लेकर आज तक केवल 65 वर्षों में तीन अरब से आठ अरब की छलांग इस विकास की जीवंत गवाही है।

लेकिन इस भारी वृद्धि के बावजूद, कुछ ऐसे देश भी हैं जहां जनसंख्या में निरंतर गिरावट देखी जा रही है। उदाहरण के तौर पर, प्रशांत महासागर के छोटे द्वीप राष्ट्र तुवालु की स्थिति चिंताजनक है। यहाँ की कुल आबादी मात्र दस हजार के आसपास है, जो लगातार घटती जा रही है और इस गिरावट के चलते देश के अस्तित्व पर भी सवाल उठने लगे हैं।

आबादी के वैश्विक अनुमान और भविष्य

संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के मुताबिक, विश्व की जनसंख्या 2030 तक 8.6 अरब तक पहुंचने वाली है, जो 2050 तक 9.8 अरब और 2100 तक 11.2 अरब हो जाएगी। लेकिन हर जगह बढ़ोतरी नहीं है। यूक्रेन, जापान, और ग्रीस जैसे देश ऐसे हैं, जहाँ लोगों की संख्या में कमी देखी जा रही है।

यूक्रेन में 2002 से 2023 के बीच जनसंख्या में लगभग 8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई, जिसका मुख्य कारण युद्ध और बड़ी संख्या में प्रवासन है। इसी तरह तुवालु में प्रति वर्ष लगभग 1.8 प्रतिशत की कमी हो रही है, जो देश के लिए चिंताजनक संकेत है।

यूरोप के कई देश जनसंख्या में कमी की राह पर

यूरोप के कई देशों की आबादी में भी गिरावट दर्ज हो रही है। ग्रीस में एक दिन में ही 1.6 प्रतिशत की कमी हुई है, जबकि सैन मारिनो, कोसोवो, बेलारूस, बोस्निया, और अल्बानिया जैसे देशों में भी आबादी घट रही है। रूस के पड़ोसी देश बेलारूस में भी लगभग 0.6 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है।

जापान में जन्मदर में गिरावट चिंता का विषय

जब बात जापान की आती है, तो यहां की आबादी में आधे प्रतिशत की कमी देखी गई है। जापान की खास बात यह है कि यहाँ जनसंख्या में गिरावट का मुख्य कारण जन्मदर में लगातार कमी है, न कि प्रवासन। जापान सरकार ने कई प्रकार के प्रोत्साहन भी दिए हैं, लेकिन इसके बावजूद लोगों की परिवार बढ़ाने की इच्छा कम हो रही है।

दुनिया के महाद्वीपों में जनसंख्या का अलग-अलग रुझान

अगर हम महाद्वीपों की बात करें, तो यूरोप एकमात्र ऐसा महाद्वीप है जहाँ आबादी में निरंतर कमी हो रही है। वहीं, एशिया महाद्वीप की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। चीन, भारत, पाकिस्तान और इंडोनेशिया जैसे बड़े देश इस वृद्धि के प्रमुख केंद्र हैं।

ग्रीस की आबादी में भी गिरावट का अनुमान है कि 2100 तक यह एक मिलियन कम होकर लगभग 9 मिलियन रह जाएगी, जो आज के करीब 10 मिलियन के आंकड़े से कम है। रूस, इटली और दक्षिण कोरिया जैसे देश भी इसी चुनौती का सामना कर रहे हैं।