_1967740210.png)
Up Kiran, Digital Desk: जिस देश की ज़मीन से आतंकवाद की जड़ें पोसी जाती हों, वहां की आर्थिक मदद पर रोक लगाना अब वक्त की ज़रूरत बन गया है। बीते कुछ हफ्तों से भारत-पाकिस्तान संबंधों में फिर से तनाव गहराता नज़र आ रहा है। इसकी बड़ी वजह है कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले जिसने न सिर्फ भारत को झकझोर दिया बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब खबर ये है कि भारत एक बार फिर पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डालने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बना रहा है। यानी एक बार फिर पाकिस्तान के लिए आर्थिक मोर्चे पर मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
पहले समझिए क्या है FATF और इसकी ग्रे लिस्ट
FATF (Financial Action Task Force) एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो यह तय करती है कि कौन से देश मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद को फंडिंग देने के खिलाफ पर्याप्त कदम उठा रहे हैं या नहीं। जो देश इसमें असफल रहते हैं, उन्हें ग्रे लिस्ट या फिर ब्लैक लिस्ट में डाला जाता है।
ग्रे लिस्ट में होना मतलब विदेशी निवेश में गिरावट, अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं का भरोसा डगमगाना, IMF और World Bank जैसी संस्थाओं से मदद मिलना मुश्किल होना।
बता दें कि पाकिस्तान को 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया था। इसका असर ये हुआ कि उसे आतंकवाद पर नियंत्रण और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के लिए 34-बिंदुओं वाली कार्य योजना पर काम करना पड़ा। साल 2022 में पाकिस्तान ने इन शर्तों को पूरा किया और उसे ग्रे लिस्ट से हटा लिया गया। इसके बाद IMF और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं से उसे फिर से आर्थिक मदद मिलनी शुरू हो गई।
--Advertisement--