
दाह संस्कार को लेकर सभी धर्मों के अपने-अपने रीति-रिवाज हैं। हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद बॉडी का अंतिम संस्कार किया जाता है और जिस स्थान पर चिता जलाई जाती है उसे श्मशान घाट कहा जाता है।
वहीं, मुस्लिमों और ईसाइयों में शवों को दफनाने की परंपरा है। जैसा कि हम जानते हैं कि जिस स्थान पर शवों को दफनाया जाता है उसे कब्रिस्तान कहते हैं। लगभग हर शहर और गांव में श्मशान हैं। यह विश्व के सबसे बड़े कब्रिस्तान का घर है। इस कब्रिस्तान में लाखों लाशें दफन हैं और इसका इतिहास 100 या 200 साल नहीं बल्कि 1400 साल पुराना है।
इराक में विश्व का सबसे बड़ा कब्रिस्तान है, जिसका नाम 'वादी-अल-सलाम' है। यह कब्रिस्तान इराक के नफ्ज शहर में स्थित है। आपको जानकर हैरानी होगी कि अकेले यह कब्रिस्तान शहर के लगभग 20% हिस्से को कवर करता है। इतिहासकारों का कहना है कि इस कब्रिस्तान का निर्माण 8वीं सदी में हुआ था, यानी लगभग 1,400 सालों से लोग यहां शवों को दफनाते आ रहे हैं। शहर की स्थापना अली इब्न अबी तालिब की दरगाह के रूप में की गई थी।
कब्रिस्तान 1500 एकड़ में फैला हुआ है
विश्व का सबसे बड़ा कब्रिस्तान 'वादी-अल-सलाम' 1500 एकड़ में फैला हुआ है। शिया समुदाय इस जगह को मुस्लिम धर्म में बहुत पवित्र मानता है। इस कब्रिस्तान को दुनियाभर में 'वैली ऑफ पीस' के नाम से भी जाना जाता है। कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यहां लाखों शवों को दफनाया गया है।
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