जहां होलेयस और दूसरे दलित समूह कांग्रेस को वोट देते हैं क्योंकि मल्लिकार्जुन खड़गे उनका नेतृत्व करते हैं वहीं मडीगास भाजपा के पक्ष में हैं। माना जाता है कि मडीगास नाराज हैं क्योंकि जस्टिस एजे सदाशिव कमिशन की आंतरिक आरक्षण रिपोर्ट को प्रदेश में लागू नहीं किया गया है। इसी वजह से मडिगास भाजपा का समर्थन करते हैं। वहीं इस समुदाय के कुछ लोग जेडीएस और बसपा में भी शामिल हुए हैं। सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) का कहना है कि अतीत में दलित समुदाय के 50 प्रतिशत वोट कांग्रेस को जाया करते थे। जबकि भाजपा के खाते में केवल 20 प्रतिशत वोट बैंक जाते थे।
2008 के विधानसभा में यह तस्वीर उस समय बदल गई जब आरक्षित 36 सीटों में से भाजपा ने 22 पर जीत दर्ज की। इसके बाद कांग्रेस फिर से दलितों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रही और 2013 के चुनाव में उसने 17 आरक्षित सीटों पर कब्जा किया। अब दलितों के वोट बैंक में कब्जा करना प्रदेश का नया ट्रेंड बन गया है। हर पार्टी उन्हें अपने पक्ष में करना चाहती है। आंतरिक आरक्षण पर जस्टिस सदाशिव कमीशन की रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य में आरक्षण सुविधाओं की पहुंच सभी तक करवाने के लिए राज्य के 101 दलितों को 4 वर्गों में बांट दिया जाए।
जिसके बाद 15 प्रतिशत आरक्षण अनुसूचित जाति, 6 प्रतिशत तथाकथित अछूतों, 5 प्रतिशत दूसरे समुदाय को 3 प्रतिशत गैर अछूतों को और 1 प्रतिशत दूसरे अनुसूचित समूहों को दिया जाए। इस मामले पर एक दलित नेता ने कहा कि हम पिछले चार सालों से आंतरिक आरक्षण की रिपोर्ट को सरकार द्वारा लागू करने का इंतजार कर रहे हैं लेकिन सिद्धारमैया की सरकार ने हमारी और दूसरे दलित समुदायों की विनती दरकिनार कर दी।