Electoral Bonds scam : कार्डियक अरेस्ट...चंदे के लिए वो जान से खेल गया...

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(पवन सिंह)
चंदे के लिए आखिरकार वो आपकी जान से खेल ही गया....!!! उसे हर कीमत पर चंदा चाहिए था...उसे मिला...उसके लिए चंद उद्योगपति ही उसकी प्रजा हैं...वह उनके लिए ही आपके कंधों पर चढ़ कर और आपके दिमाग में गोबर भरा कर आया....उसने बड़ी धूर्तता से आपको बता दिया कि दूध नहीं मूत्र पिया जाता है...उसने यह सब तालियां बजवा कर किया और आपने खूब तालियां बजाईं...उसने आज के वैज्ञानिक और तकनीकी युग में आप को यह भरोसा दिलाया कि मोबाइल की रोशनी से वायरस मर जाता है....आपने भी मोमबत्ती और मोबाइल की लाइट जलाकर वायरस मारा....उसने समझ लिया कि तीर सही निशाने पर लगा है...उसने फिर से हुंकार भरी...आपने ताली, थाली, परात, लोटा, कढ़ैया, भगौना, डिब्बा, टीन, प्रैशर कूकर...तब पीट डाले.....बस!...वह इतना ही पता करना चाहता था.....अब रास्ता क्लीयर था ...चंदा दूर से साफ दिखाई दे रहा था ... टारगेट फिक्स था....धचाधच इंजेक्शन लगे.....बूस्टर डोज तक मामला समझ आया तो बूस्टर फेल हो गया.... बहुत कम लोगों ने लगवाया....फिर धड़ाधड़ लोग हार्ड अटैक से मोक्ष को प्राप्त होने लगे.....उसे तो चंदा चाहिए था....उसे मिला...उसे तो भरपूर चंदा चाहिए था...उसे भरपूर  मिला....ईडी लगाकर चंदा चाहिए था....उसे मिला... तुम्हारे हिस्से में जो आना था वह सामने है....!!!!.... वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से वसूली के रूप में 50 करोड़ का चंदा लिया गया.....ऐसे ही पूरे देश में फाइव स्टार चमचमाते पार्टी कार्यालय यूं ही नहीं बने.....!!! 

देश भर के लोगों के लिए वैक्सीन डोज अनिवार्य कर दिया गया....लोगों को वैक्सीन लगवाकर सर्टिफिकेट लेने को मजबूर किया गया....लगवाओगे नहीं तो जाओगे कहां....!!!हर उम्र के लोग नाचते-चलते-गाते मरने लगे...!! हल्ला मचा ....!!! सबसे ज्यादा हल्ला गुजरात के गरबे से मचा, जब पिछले साल यहां गरबा खेलते वक़्त कई लोगों की हार्ट अटैक के चलते मौत हो गई।  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया का बयान आया और उन्होंने देश में बढ़ते हृदयाघात के मामले की वजह कोरोना वायरस को बताया था। उन्होंने कहा था कि जो लोग कोविड से संक्रमित हुए थे, उनमें हृदय घात और कार्डियक अरेस्ट का रिस्क ज्यादा रहता है।  मांडविया के बयान से ये साफ हो गया कि हृदयाघात के मामले बढ़ने का बड़ा कारण कोरोना वायरस ही है....यहां बयान की पूंछ आपने पकड़ी ही नहीं...मंत्री जी कोराना वायरस को दोषी ठहरा कर पतली गली से निकल गये.....हिम्मत न हुई कि कोराना वायरस की जगह कोरोना वैक्सीन कह सकें..!!!!

खैर फिर भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के द्वारा एक रिसर्च की गई। रिसर्च में कहा गया कि  जो व्यक्ति गंभीर रूप से कोविड वायरस का शिकार हुए थे, उनमें हृदय रोग का जोखिम ज़्यादा देखा गया है। रिसर्च के बाद ऐसे लोगों को सलाह दी गई कि दिल के दौरे से बचने के लिए एक या दो साल तक अत्यधिक परिश्रम न करें। एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया कि  कोरोना महामारी के बाद हार्ट अटैक के केसों में वृद्धि देखी गई है। इन मरीजों की जांच के दौरान ये सामने आया कि कोरोना वायरस के कारण हार्ट की आर्टरीज में खून के थक्के बन गए थे।  इन क्लॉट के कारण हृदय को ब्लड पंप करने में परेशानी होती है, जिससे हार्ट अटैक का ख़तरा बढ़ जाता है। कोरोना वायरस का साइड इफेक्ट क्लॉट बनने की एक बड़ी वजह है।

लेकिन वैक्सीन निर्माता इंग्लैंड ने बिना किसी लाग-लपेट के कह दिया कि उसकी वैक्सीन में ही झोल था। सवाल ये है कि इधर,  वसूली करने वालों ने वैक्सीन लोगों को जबरन क्यों लगवाई? जवाब कोई नहीं है..???

ये खबर "भारतीय टाइप की न्यूज" नहीं है कि ईडी, सीबीआई और इनकमटैक्स के डर से बनाई गई होगी.....ये अंतरराष्ट्रीय ख़बर है जो  उन सभी करोड़ों-करोड़ भारतीयों पर भी लागू होती है, जिन्होंने कोविड के लक्षण से बचने के लिए कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई.... कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने दो दिन पूर्व यूके की हाईकोर्ट में दिए गए अपने अदालती दस्तावेजों में पहली बार माना है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से TTS सिंड्रोम जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं,यह सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है, इसके चलते व्यक्ति में ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट होने की आशंकाएं बढ़ जाती है!ज़िस कंपनी एस्ट्राजेनेका ने हाइकोर्ट में माना है कि उनकी वैक्सीन से साइड इफेक्ट्स हो सकते है वो एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कई देशों में कोविशील्ड और वैक्सज़ेवरिया ब्रांड नामों के तहत बेचा गया था और जिस कोविशील्ड की बात की जा रही है उस वैक्सीन को 80 करोड़ भारतीयों को डोज़ के रूप में दी गई है। 80 करोड़ भारतीयों ने कोविशील्ड लगवाई है, यानी इस वक़्त 80 करोड़ भारतीयों में ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट होने की आशंकाएं बढ़ जाती है! वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से 50 करोड़ के चंदे की वसूली हुई।

फिलहाल, ये मान लीजिए बतौर नागरिक आपके जान की कीमत केवल आपके परिवार के लिए है... सरकार के लिए नहीं...कल के मरते आज मर जाएं सरकार की बला से.... चंदा है तो सब चंगा है....

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