लखनऊ ।। भारतीय जनता पार्टी ने एमएलसी प्रत्याशियों की जो सूची जारी की है, उसमें राजा भैया के करीबी यशवंत सिंह का नाम भी शामिल है। राज्यसभा चुनाव के दौरान माना जा रहा था कि भाजपा के लिये कुर्बानी देने वाले सपा एमएलसी यशवंत सिंह को राज्यसभा भेजकर भाजपा उन्हें
रिटर्न गिफ्ट देगी, लेकिन ऐसा न हो सका।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि राजा भैया के कहने पर ही सपा एमएलसी यशवंत सिंह ने विधान परिषद से इस्तीफा दिया था। यशवंत सिंह की सीट से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधान परिषद पहुंचे। माना जा रहा कि राज्यसभा के लिए यशवंत सिंह को भाजपा प्रत्याशी न बनाये जाने से राजा भैया नाराज हो गये थे, जिसके बाद अब यशवंत सिंह को भाजपा ने विधान परिषद भेजने का मन बना लिया है।
रविवार को भारतीय जनता पार्टी ने जिन 10 कैंडिडेट्स के नाम घोषित किये हैं, उनमें यशवंत सिंह के अलावा डॉ। महेंद्र सिंह , मोहसिन रजा, सरोजनी अग्रवाल, बुक्कल नवाब, जयवीर सिंह, विद्यासागर सोनकर, विजय बहादुर पाठक, अशोक कटारिया और अशोक धवन हैं। भाजपा ने जिन 10 प्रत्याशियों के नाम घोषित किये हैं, उनमें से ज्यादातर दूसरे दलों से आये नेताओं के नाम शामिल हैं।
हालांकि, भाजपा ने अभी 11वें प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं किया है। समाजवादी पार्टी ने सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को पार्टी से एमएलसी कैंडिडेट बनाया है, वहीं भीमराव अंबेडकर बसपा के एमएपांच मई को खाली हो रहीं विधान परिषद की 13 सीटों के लिये मतदान 26 अप्रैल को होगा।
इसी दिन मतदान और मतगणना होगी। मौजूदा संख्या बल के हिसाब से देखें तो भाजपा 13 में से अपने 11 सदस्यों को उच्च सदन भेज सकेगी, वहीं सपा-बसपा मिलकर दो प्रत्याशियों कि जिता पाएंगे। अखिलेश यादव पहले ही बसपा प्रत्याशी के एक प्रत्याशी को जिताने का ऐलान कर चुके
हैं।
पांच मई को खाली हो रहीं विधान परिषद की 13 सीटों के लिये मतदान 26 अप्रैल को होगा। इसी दिन मतदान और मतगणना होगी। मौजूदा संख्या बल के हिसाब से देखें तो भाजपा 13 में से अपने 11 सदस्यों को उच्च सदन भेज सकेगी, वहीं सपा-बसपा मिलकर दो प्रत्याशियों कि जिता पाएंगे।
अखिलेश यादव पहले ही बसपा प्रत्याशी के एक प्रत्याशी को जिताने का ऐलान कर चुके हैं।
मौजूदा समय में भाजपा और सहयोगी दलों के पास कुल 324 विधायक हैं। सपा के पास 47 और बसपा के पास 19 विधायक हैं। उच्च सदन की एक सीट जीतने के लिये 29 वोटों की जरूरत है। इस लिहाज से भाजपा आसानी से अपने 11 प्रत्याशियों को जिता सकेगी, वहीं सपा-बसपा मिलकर दो
सदस्यों को विधान परिषद भेज पाएंगे।
क्रास वोटिंग की संभावना लगभग न के बराबर है, क्योंकि किसी भी दल के पास ऐसे अतिरिक्त पर्याप्त वोट नहीं हैं, जो क्रास वोटिंग के बूते किसी दूसरे प्रत्याशी को जिता सकें।