LUCKNOW. महिलाओं और लड़कियों के रेड ब्रिगेड की अध्यक्ष ऊषा विश्वकर्मा सेल्फ डिफेन्स की ट्रेनिंग दे रही हैं। मनचलों से निपटने और करारा जवाब देने के लिये महिलाओं और लड़कियों के अंदर एक नया जोश पैदा कर रही है। रेड ब्रिगेड अध्यक्ष ऊषा विश्वकर्मा इसके बारे में पूरे शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में भी जोश और जज्बा भर रहीं हैं।
महिला के सम्मान और सुरक्षा को लेकर अभियान
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी रेड ब्रिगेड लखनऊ दामिनी की याद में 16 से 29 दिसंबर के बीच महिला के सम्मान और सुरक्षा को लेकर अभियान चला रहा है। जिसका उद्देश्य रुढ़िवादी सोच पर चोट करना है।
मशाल यात्रा निकाल देंगीं महिला सुरक्षा का संदेश
दामिनी और दामिनी जैसी बहुत सी लड़कियां/महिलायें यौनिक हिंसा की शिकार सिर्फ इसलिए हो रही हैं कि वो रात के समय घर से बाहर निकल रही हैं।
आगे बढ़ने की चाहत में कहीं आप अपने बच्चों का बचपन तो नहीं छीन रहे…अरविंद विश्वकर्मा
रेड ब्रिगेड लखनऊ द्वारा आयोजित इस अभियान का नाम “रात का उजाला” है, जिसमे प्रत्येक दिन रेड ब्रिगेड लखनऊ टीम की लड़कियां लखनऊ के लोगों के साथ शाम 6 से रात 10 तक सड़कों पर उपलब्ध अलग साधनों का प्रयोग कर महिला सम्मान और सुरक्षा का संदेश देंगी।
निर्भया कांड ने पूरे देश को हिला दिया
इसी क्रम में आज 16 दिसंबर 2017 को शायं 6 बजे एक मशाल यात्रा का 1090 से सिकन्दर बाग़ चौराहा तक, का आयोजन किया जाएगा। महिलाओं और लड़कियों को सेल्फ डिफेन्स की ट्रेनिंग दिल्ली में हुए निर्भया कांड ने जिस तरह पूरे देश को हिला दिया था।
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इन घटना के बाद आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से रेड ब्रिगेड की अध्यक्ष ऊषा विश्वकर्मा महिलाओं और लड़कियों को सेल्फ डिफेन्स की ट्रेनिंग देने के साथ मनचलों से कैसे निपटा जाये इसके बारे पूरे शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में भी जोश और जज्बा भर रहीं हैं।
23 वर्षीया निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म
दामिनी की याद में संगठन ने लखनऊ भर में पिछली साल 16 से 29 दिसंबर तक 200 कि.मी. तक पैदल यात्रा की थी। ऊषा ने बताया कि 16 दिसंबर 2012 की रात पांच दरिंदों ने 23 वर्षीया निर्भया के साथ क्रूरतम तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया था।
क्या महिलाओं के लिए दिल्ली अब सुरक्षित है?
निर्भया ने मौत से 13 दिन तक जूझते हुए इलाज के दौरान सिंगापुर में दम तोड़ दिया था। इस भयानक हादसे के बाद राजधानी को ‘दुष्कर्म की राजधानी’ की संज्ञा दी जाने लगी। क्या महिलाओं के लिए दिल्ली अब सुरक्षित है?
आपराधिक आंकड़ों में तो इसकी पुष्टि होती नहीं दिखती। उन्होंने कहा कि दामिनी की याद में हमारा संगठन हर साल कार्यक्रम करता है। वह लगातार लड़कियों को छेड़छाड़ से निपटने के लिए आत्म निर्भर बना रहीं हैं।
फोटो-फाइल
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