कपिलवस्तु महोत्सव में अधिकारियों के वसूली का जानिए रेट, योगी को लाने की तैयारी

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गोरखपुर।। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद से ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगाए जाने की कवायद शुरू कर दी गयी थी। इसका प्रभाव भी प्रदेश में दिखने लगा था, लेकिन सिद्धार्थनगर जिले की ये खबर आपको हैरान करने वाली है। कपिलवस्तु महोत्सव में अधिकारी पूरी तरह से वसूली में जुट गए हैं।

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इस मेले में आयोजक सीएम योगी आदित्यनाथ और मशहूर गायिका मालिनी अवस्थी को बुलाना चाहते हैं, जिससे कार्यक्रम भव्य हो जाए। इसकी तैयारी के लिए ये आयोजक अधिकारियों से वसूली करवा रहे हैं।

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जिले की पूरा सरकारी मशीनरी को धन उगाही में लगा दिया गया है।

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वसूली करने वाला अधिकारी इसे जिलाधिकारी का आदेश बताते हुए व्यवसाइयों से मोटी रकम की मांग कर रहे हैं। कुछ अधिकारीयों को ये भी निर्देश दिए गए हैं कि वो दिल्ली चाट कार्नर पर पैसे जमा करवा दें। ये वसूली सिर्फ व्यवसाइयों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि सरकारी कर्मचारी और अधिकारी भी इससे अछूते नहीं हैं। उनसे महोत्सव के लिए एक निश्चित रकम जमा करवाया जा रहा है।

महोत्सव

महोत्सव में अधिकारी पैसा बटोरने में जुटे

यही नहीं कहा जा रहा है कि इस मेले के सर्वेसर्वा जिलाधिकारी हैं। इस आयोजन के लिए आरटीओ से लेकर हर अधिकारी पैसा बटोरने में जुटा हुआ है।

वसूली के लिए इस तरह लगाया गया है रेट

आरटीओ ऑफिस – 25000/- से 51000/ रुपए

मोटर साइकल डीलर से – 51 हजार रुपए

ट्रैक्टर डीलर से – 1 लाख रुपए

डीएसओ अफसर और पेट्रोल पम्प वाले 1 लाख रुपए जमा करेंगे।

पेट्रोल पंप और केरोसिन डीलरों से 10 हजार

आबकारी अधिकारी और दुकानदारों से 20 हजार रुपए वसूलेंगे।

शराब की छोटी दुकान से पांच हजार रुपए वसूले जाएंगे।

कृषि विभाग , बड़े कारोबारियों व खाद कारोबारियों से 1 लाख रुपए।

डीआईओएस से 1 लाख रुपए।

मान्यताप्राप्त विद्यालयों से 10 हजार

बीएसए से 50 हजार रुपए या 150 पैकेट खाने का पैसा।

नोटः सूत्रों के हवाले से रेट, अधिकारी ने नाम न बताने के शर्त पर दी जानकारी।

गौरतलब है कि इस तरह का एक आयोजन लखनऊ में भी होता है और इस लखनऊ महोत्सव के आयोजन में किसी भी व्यवसायी या अधिकारी से कभी कोई आर्थिक सहयोग या चंदे की बात नहीं होती है।

वहीँ जनपद सिद्धार्थनगर में जैसे ये परम्परा बनती नजर आ रही है। सूत्रों की मानें तो इस महोत्सव की आड़ में जबर्दस्त वसूली को लेकर जिले व्यवसायी खासे नाराज हैं लेकिन इसे सरकार का आदेश मानकर मजबूरी में चुप्पी साधे हुए हैं।

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