लखनऊ। लोकसभा चुनाव के बीच भारतीय जनता पार्टी को अशुभ संकेत मिलने लगे हैं। उत्तर प्रदेश समेत पूरे हिंदी पट्टी में क्षत्रिय समाज ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हाल ही के दिनों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुई क्षत्रिय समाज की पंचायतों में ऐलान किया गया कि जो उम्मीदवार बीजेपी को हराएगा, क्षत्रिय समाज उसी का समर्थन करेगा। इस नाराजगी की अहम वजह बीजेपी द्वारा टिकट वितरण में क्षत्रिय विरादरी की उपेक्षा को माना जा रहा है। इसी तरह ब्राह्मण वर्ग भी बीजेपी के विरुद्ध एकजुट होने लगा है।
बीजेपी से क्षत्रिय समाज की नाजाजगी उत्तर प्रदेश से शुरू हुई। दरअसल, मोदी सरकार में मंत्री जनरल वीके सिंह का गाजियाबाद से टिकट काटने के बाद क्षत्रिय समाज बीजेपी के खिलाफ बागी तेवर में आ गया। क्षत्रिय समाज की इसनाराजगी का कनेक्शन गुजरात से भी जोड़ा जा रहा है। बताते चलें कि राजकोट से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला के क्षत्रिय समाज के खिलाफ एक बयान ने इस पूरी विरादरी को उद्देलित कर दिया।
क्षत्रिय संगठनों ने रूपाला के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। तमाम क्षत्राणियों ने जौहर करने की घोषण कर दी। जब विवाद टूल पकड़ने लगा तो रूपाला ने क्षत्रिय समाज से माफी माँगी। इसके बाद भी क्षत्रिय समाज का गुस्सा शांत नहीं हुआ और क्षत्रिय संगठनों ने मंगलवार को गांधीनगर में बीजेपी कार्यालय का घेराव करने का ऐलान किया है।
उल्लेखनीय है कि बीजेपी ने यूपी में 63 अधिकाँश टिकट फाइनल कर दिए हैं। इनमें आठ टिकट क्षत्रिय समाज के लोगों को दिए हैं। इनमें मुरादाबाद से सर्वेश सिंह, लखनऊ से राजनाथ सिंह, अकबरपुर से देवेन्द्र सिंह भोले, हमीरपुर से पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल, फैजाबाद से लल्लू सिंह, गोंडा से कीर्ति वर्धन सिंह, डुमरियागंज से जगदंबिका पाल, जौनपुर से कृपा शंकर सिंह। इनमे से भी सर्वेश सिंह का गत दिनों निधन हो गया।
बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में क्षत्रिय विरादरी की आबादी लगभग सात प्रतिशतहै। क्षत्रिय समाज के लोग पहले कांग्रेस, फिर सपा के साथ भी रहे। राम मंदिर आंदोलन के बाद ठाकुर विरादरी बीजेपी के साथ आ गयी। अब उपेक्षा से आहत क्षत्रिय समाज बीजेपी को सबक सिखाना चाह रहा है। करणी सेना भी आगे आ गयी है। इन हालातों में बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो गयी हैं।
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