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चित्तौड़।। कर्णी सेना नहीं चाहती कि रानी पद्मावती का इतिहास पुरे देश में चर्चा बने इसलिये पूरे देश में राजपूत संगठनों और कर्णी सेना का विरोध प्रदर्शन जारी है जिसको देखते हुए अब भारत सरकार भी दबाव में आ गयी है।

राजपूत संगठनों और कर्णी सेना के दबाव में ‘आर्केलॉजिकल-सर्वे-ऑफ-इंडिया’ (Archaeological Survey of India) द्वारा अब चित्तौड़ का अब-तक का बताया जा रहा इतिहास छिपा लिया गया है। इस कड़ी में पहले ‘पद्मिनी महल’ को सीज किया गया और अब ‘पद्मिनी’ के बारे में लिखे ‘शिला-लेख’ को भी लाल कपड़े से ढक दिया गया है।

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शिला-लेखों को लाल रंग के बड़े कपड़ों में ढकने के बाद अब टूरिस्टों के लिए ये कौतूहल का विषय बना हुआ है। इसके पहले चित्तौड़ से भाजपा का विरोध-प्रदर्शन सांसद सीपी जोशी के द्वारा किया गया था।

एक टीवी चैनल से बातचीत में उन्होंने इस शिला-लेख को हटाने के लिये कहते हुये धमकी दी थी कि अगली बार चित्तौड़ आयेंगे तो सब बदला दिखेगा।

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स्तिथि को देखते हुए ढके हुये पत्थर के चारों तरफ पुलिस का पहरा भी लगा दिया गया है। इस पत्थर पर लिखा हुआ था कि ‘इसी जगह से कांच में अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी को देखा था।’ उधर कर्णी सेना ने ‘आर्केलॉजिकल-सर्वे-ऑफ-इंडिया’ को पत्थर नहीं हटाने की स्तिथि में गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी है। ‘गाइड-एसोसिशन’ ने भी कहा है कि “जो गाइड इस तरह से कांच की बात टूरिस्टों को बतायेगा, उसके खिलाफ लीगल कार्रवाई होगी और अगर कर्णी-सेना द्वारा उन्हें पीटा जाता है तो इसका जिम्मेदार गाइड-एसोशिएसन नहीं होगा।”

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शुक्रवार को राजस्थान सरकार ने भी भारत-सरकार से चित्तौड़गढ़ दुर्ग के विकास के लिये मिले साढ़े ग्यारह करोड़ रुपये में से 5 करोड़ खर्च कर पिछले नौ वर्षों से दिखाये जा रहे ‘लाइट एंड साउंड’ शो को बदलकर नया शो बनाने का ऐलान किया था। पुराने शो में अब तक कांच में पद्मिनी को देखने की कहानी सुनायी जाती आयी है। वहां भी अब बड़ी संख्या में पुलिस-बल तैनात कर दिया गया है।अब तो ये चर्चा का विषय बन गया है कि क्या संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती की वजह से ही राजपूतों को पद्मिनी के इतिहास को सही करने की याद आई है।

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