भाजपा की चुनावी रणनीति में सुदूर दक्षिण का तमिलनाडु बेहद अहम हो गया है। राज्य के दोनों प्रमुख दलों- द्रमुक व अन्नाद्रमुक के अपने शीर्ष नेताओं को खोने के बाद नए समीकरण बनना तय हैं। ऐसे में केंद्रीय सत्ता में होने के कारण भाजपा राज्य में किसी एक दल से गठबंधन करने के लिए बेहतर स्थिति में होगी। द्रमुक अभी कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए में है, जबकि अन्नाद्रमुक का भाजपा को बाहरी समर्थन है, लेकिन चुनाव के समय यह स्थितियां बदल सकती हैं।
लोकसभा सीटों के लिहाज से तमिलनाडु 39 सीटों के साथ देश के राज्यों में चौथे स्थान पर है। बीचे चार दशकों से यहां द्रमुक व अन्नाद्रमुक के बीच सत्ता का बंटवारा होता रहा है और राष्ट्रीय दल उनके साथ या अलग चुनाव लड़ते रहे हैं। द्रमुक अपने सबसे लोकप्रिय नेता करुणानिधि के निधन के बाद नई स्थितियों से जूझ रही है, वहीं अन्नाद्रमुक के पास जयललिता के निधन के बाद कोई ऐसा नेता नहीं है जो पूरी पार्टी को एकजुट रखने के साथ राज्य में प्रभावी नेतृत्व दे सके।
इन स्थितियों में भाजपा अपने लिए मौका तलाश रही है। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा है कि यह सही है कि पार्टी के पास राज्य में प्रभावी नेता की कमी है, लेकिन बीते चार साल में संगठनात्मक मजबूती आई है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने खुद दूर देहात का दौरा किया है और अभी भी यह काम जारी है। इसके अलावा उसके पास केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रही अन्नाद्रमुक व अन्य दलों के साथ तालमेल के विकल्प खुले हैं। इस नेता ने संकेत दिए हैं कि यूपीए के साथ खड़ी द्रमुक भी साथ आ सकती है।
द्रमुक व भाजपा के अपने-अपने हित
सूत्रों के अनुसार भाजपा व द्रमुक का एक वर्ग भी लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ जाने के पक्ष में है। भाजपा नेताओं को लगता है कि अगले चुनाव में द्रमुक का प्रदर्शन अन्नाद्रमुक की तुलना में बेहतर रहेगा, ऐसे में उसके साथ जाने में ज्यादा लाभ है। इसी तरह द्रमुक का एक वर्ग भी केंद्र में भाजपा की सरकार बनने की बेहतर संभावनाओं को देखते हुए उसके साथ जाने का पक्षधर है। इससे टूजी घोटाले को लेकर उस पर आई आंच भी कम होगी। इस घोटाले को भाजपा ने मुद्दा बनाया था और जब भाजपा साथ होगी तो उसका जिक्र कम होगा।
विधानसभा चुनाव के बाद खुलेंगे पत्ते
भाजपा अभी अपने पत्ते नहीं खोल रही है। उसकी नजर द्रमुक के पारिवारिक झगड़े पर भी है। द्रमुक में करुणानिधि के उत्तराधिकारी स्टालिन और पार्टी से बाहर किए गए उनके भाई अलागिरी को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है। अलागिरी पार्टी में वापस आना चाहते हैं। द्रमुक भी दिसंबर में तीन राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन देखना चाहती है। यह राज्य भाजपा के गढ़ हैं।