रौंगटे खड़े कर देने वाला ये दर्दनाक मंजर, कटा हुआ सिर ट्रैक पर और धड़ हॉस्पिटल में

img

नई दिल्ली ।। ऐसा दृख्‍य जिस पर मौत भी जार-जार रोई। किसी का सिर रेलवे ट्रैक पर पड़ा था तो धड़ अस्‍पताल लाया जा सका था। पूरा मंजर इतना दर्दनाक की जो भी देखता सिसक पड़ता। जलते हुए रावण को देख रहे कई घरों के चिराग बुझ गए हैं। मासूम बच्चों की लाशों को सीने से लगाकर फूट-फूटकर रो रहे लोग उस घड़ी को कोस रहे है।

जब रावण का दहन देखने जोड़ा फाटक गए थे। प्रशासन पहले सोया रहा, अब रात-रात जागकर मृतकों के परिवारों से शोक व घायलों के जिस्म पर संवेदना का मरहम लगाने का अर्थहीन प्रयास कर रहा है। घटना में मारे गए लोगों के अंग भंग हो चुके हैं। शवों की क्षत-विक्षत तस्वीरें विचलित करने वाली हैं, इसलिए इन्हें दिखाना संभव नहीं। जरा सोचिए जिन मृतकों की तस्वीरों को हम और आप देख नहीं सकते, उनके परिजनों के दिल पर क्या बीतती होगी।

पढ़िए- अजूबा- पटरियों के बीच लेटा था युवक, ऊपर से गुजर गई ट्रेन

दशहरा मेले में 18 वर्षीय मनीष उर्फ आशु भी पहुंचा था। घटना के बाद परिवार वाले उसे तलाशने के लिए रेलवे ट्रैक पर पहुंचे। क्षत-विक्षत लाशों के बीच मनीष नहीं मिला। उसके पिता विपिन कुमार ने बताया कि वह सिविल अस्पताल, गुरु नानक देव अस्पताल व निजी अस्पतालों में भी गए, पर उसके बारे में कुछ पता नहीं चल सका। इसके बाद मनीष की फोटो सोशल मीडिया पर भेजी गई। शनिवार सुबह पता चला कि रेलवे ट्रैक से एक युवक का कटा हुआ सिर बरामद हुआ है। यह सिर मनीष का था। विपिन ने बताया कि मनीष का धड़ गुरु नानक देव अस्पताल में था और सिर रेलवे ट्रैक पर। छोटे भाई रिशु ने बताया कि मनीष 12वीं कक्षा का छात्र था। शाम पांच बजे दशहरा देखने गया था।

जूते बनाकर परिवार का पेट पालने वाले विपिन कुमार के लिए बेटे की मौत का गम बहुत बड़ा है। वह अस्पताल में फूट-फूट कर रोए। साथ ही प्रशासन व सरकार को इस घटना के लिए कसूरवार बताया। कहा, मेेरा सब कुछ लुट गया। पत्नी रेखा को अभी तक नहीं बताया कि उसके जिगर का टुकड़ा नहीं रहा। वह तो अभी भी मनीष के आने का इंतजार कर रही है।

अभागी मां.. जोड़ा फाटक निवासी संदीप का आंचल सूना हो गया है। दुर्घटना में संदीप ने दो मासूम बच्चों के साथ-साथ अपने पिता को भी खो दिया। सिविल अस्पताल के ट्रॉमा वार्ड में दाखिल संदीप शुक्रवार से ही कोमा में है। उसके पति जितेंद्र सिंह ने बताया कि पत्नी संदीप और दो बच्चे तीन वर्षीय नीरज व छह वर्षीय सोनिया तथा सास मनजीत कौर व ससुर अभय दशहरा देखने गए थे। सभी रेलवे ट्रैक पर खड़े थे। अचानक रेल आई और लोग कटने लगे। संदीप ने दोनों बच्चों को धक्का मारकर पटरियों से दूर कर दिया और खुद भी कूद गई।

उसके सिर पर गहरी चोट लगी और वह मौके पर ही बेहोश हो गई, जबकि दोनों बच्चे सोनिया तथा नीरज भीड़ के पैरों तले दबकर मौत की आगोश में समा गए। दोनों बच्‍चाें को सिविल अस्पताल लाया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद ही उन्हें मृत करार कर दिया। जिंतेद्र बोले, बच्चों का अंतिम संस्कार करके आया हूं। घटना के वक्त संदीप के पिता अभय ट्रेन से कट गए और उनकी मौके पर मौत हो गई, जबकि संदीप की मां मनजीत कौर भगदड़ में गिरकर जख्मी हो गई।

2 बच्चों के साथ जख्मी हुए ललित कुमार ने बताया कि ट्रेन के आते ही धक्का लगा। मैं और मेरे दो बच्चे लवकुश तथा संदीप पटरी के किनारे जा गिरे। मेरे हाथ में फैक्चर है और लवकुश के सिर पर गहरी चोट लगी। मैं और मेरे बच्चे सलामत हैं, लेकिन इस घटना में जिन परिवारों के चिराग बुझ गए, उनके बारे में सोचकर ही रूह कांप उठती है।

बिहार के गोपालगंज के गांव समराल निवासी मतिलाल ने बताया कि ट्रेन आते ही चीखें मच गई। ट्रेन की रफ्तार इतनी थी कि किसी को समझने और संभलने का मौका नहीं मिला। मैं पटरी से कूदकर नीचे उतरा, लेकिन ट्रेन की चपेट में आ गया। छाती की पसलियां टूट गई हैं।

बिहार के भागलपुर जिले के गांव माल भंडारीडी निवासी नंदलाल भगत मेले में अकेले गए थे। हादसे से पहले ट्रैक पर खड़े थे। ट्रेन आई और लोग कटते गए। लोगों की धक्का-मुक्की के बीच वह ट्रैक की दूसरी तरफ गिर पड़े। इस दौरान उनका कान कट गया।

10 वर्षीय विशाल अपने पापा राजेश के साथ मेला देखने गया था। भगदड़ में पिता का साथ छूट गया। भीड़ में दब गए, शायद इसलिए बच गए। पिता-पुत्र दोनों सिविल अस्पताल में दाखिल हैं। राजेश के अनुसार पटाखों की आवाज के बीच हमें ट्रेन का हॉर्न सुनाई नहीं दिया।

फोटो- फाइल

Related News