PM के संसदीय क्षेत्र में पत्रकारों पर हुए हमले को लेकर 5-KD पर धरना , सरकार में मची हड़बड़ी!

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लखनऊ/वाराणसी।। पत्रकारों पर आये दिन हो रहे हमले और कल वाराणसी में BHU में छात्राओं के प्रदर्शन को कवर कर रहे पत्रकारों पर हुए हमले के खिलाफ लखनऊ में मुख्यमंत्री के आवास 5-KD पर आज सैकड़ों पत्रकारों ने धरना दिया।

राजधानी में पत्रकारों के धरने की खबर से शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया। DM से लेकर सूचना विभाग के प्रमुख सचिव ने पत्रकारों से धरना समाप्त करने की गुजारिश की लेकिन हमलों से आक्रोशित पत्रकार किसी की कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे।

बाद में प्रमुख सचिव सूचना के आश्वासन पर कि CM जैसे ही लखनऊ आते हैं वह उनकी बात CM तक जरूर पहुचायेंगे, तब जाकर पत्रकारों ने सूचना-निदेशक को ज्ञापन सौंपा और मांग की कि वाराणसी के दोषी DM और SSP को तुरंत सस्पेंड किया जाए और तत्काल पत्रकारों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किया जाए।

हालात बिगड़ते देख CM योगी ने TWEET करके जानकारी दी कि पत्रकारों पर हमले के मामले में वाराणसी के कमिश्नर से जांच-रिपोर्ट मांगी गई है। धरने पर बैठे पत्रकारों ने मांग की कि जिन पत्रकार-साथियों की मृत्यु हुई है तत्काल उनके परिजनों को 20-लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाए और इसके अलावा पत्रकारों की सुरक्षा-व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए एक कमेटी बनाई जाए जो पत्रकारों के उत्पीडऩ की जांच करें।

पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों को अब एक बहस छिड़ गयी है कि क्या लोकतंत्र का चौथा-स्तम्भ कहे जाने वाले मीडिया-जगत को किसी की नजर लग गयी है।

हाल ही में, 5 सितंबर 2017 को बेंगलूर की पत्रकार गौरी लंकेश की गोली मार कर हत्या कर दी गई । राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो NCRB के हाल के आंकड़ों के अनुसार पिछले दो वर्षों में पुरे देश में पत्रकारों पर कुल 142 प्राण-घातक हमले के मामले दर्ज हुए हैं।

गौरी लंकेश पर 5-सितंबर 2017 को हमलावरों ने 7 गोलियां दागी थी लेकिन उनमें से 4 गोलियां चूक गई, जबकि दो-सीने पर और एक-माथे पर लगी थी, ये रिपोर्ट INDIA TODAY ने अपने 6 सितंबर 2017 के अंक में प्रकाशित किया है।

NCRB ने 2014 से पत्रकारों पर हमलों के आंकड़ों को संकलित करना शुरू किया है। भारतीय दंड संहिता की धारा-325, 326, 326-ए और 326-बी के तहत सबसे ज्यादा मामले ‘गंभीर चोट’ के लिए पंजीकृत किए गए थे।

पत्रकारों पर हमले के संबंध में सबसे ज्यादा मामले उत्तर-प्रदेश में दर्ज किए गए हैं। दो साल में उत्तर-प्रदेश में 64 दर्ज किए, लेकिन कार्यवाही के नाम पर केवल चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। उत्तर-प्रदेश के बाद मध्य-प्रदेश में 26 और बिहार में 22 हमले के मामले दर्ज हुए हैं। पुरे देश में पत्रकारों पर हुए हमलों में, इन तीन राज्यों की 79 फीसदी हिस्सेदारी है। पत्रकारों पर हमलों के मामले में सर्वाधिक 42 गिरफ्तारी मध्य-प्रदेश में हुई है। वर्ष-2014 में 10 और वर्ष-2015 में 32 गिरफ्तारी की सूचना प्राप्त है।

संस्था कमिटी-टू-प्रोटेक्ट जर्नालिस्ट के अनुसार, 1992 से 2016 के बीच देश में कम से कम 70 पत्रकार मारे गए थे। उन 40 पत्रकारों को मारने के पीछे के मक़सद की पुष्टि की गई है जिसमें 27 पत्रकारों की हत्या की गई थी और 13 को खतरनाक असाइनमेंट की वजह से मारा गया था।

फ़ोटो : फाइल

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