नई दिल्ली ।। कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान समय-समय पर परमाणु हमले की धमकी देता रहा है। केंद्र सरकार ने जब से आर्टिकल-370 का प्रभाव घटाते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म किया है, तब से पाकिस्तान कई बार परमाणु हमले की धमकी दे चुका है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र संघ की सामान्यसभा को संबोधित करते हुए भी इस तरह की बातें कहीं। इस आशंका पर बल इस वजह से दिया जाता है, क्योंकि पाकिस्तान में सेना का ही अप्रत्यक्ष राज है। इसलिए कहा जाता है कि पाकिस्तान का परमाणु बटन एकदम असुरक्षित है। जाने कब आतंकवादी इस पर कब्जा कर लें, यह डर हमेशा बना रहता है। इसलिए कुछ अरसा पहले उसके बमों को अमेरिकी कब्जे में लेने की बात भी उठी थी।
यह भी आशंका है कि पाकिस्तान जैसा देश झूठे डर या दबाव की वजह से कभी भी परमाणु हमला कर सकता है। रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल हर्ष कक्कड़ (रिटायर्ड) भी आशंका से इत्तफाक रखते हैं। उन्होंने कहा पाकिस्तान में आतंकियों का गहरा प्रभाव है। इस लिए इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि कभी न कभी परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग सकते हैं।
इसलिए दुनिया लगातार अलग-अलग तरीके से पाकिस्तान की एटमी संपत्तियों की निगरानी कर रही है। पाकिस्तान की सेना और सरकार में भी ऐसे लोग हैं, जो आतंकियों के समर्थक हैं, इसलिए यह खतरा हमेशा ही है। अगर परमाणु हथियारों की जगह उनके हाथ रेडियोधर्मी सामग्री ही लग जाए, तो भी यह दुनिया की चिंता बढ़ाने के लिए काफी है।
पाकिस्तान में सैन्य तंत्र के बाहर कोई नहीं जानता कि उनका एटमी कमांड और कंट्रोल का ढांचा क्या है और लाइन ऑफ कमांड क्या है। वहां नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल है, जिसमें प्रेजिडेंट, सभी मिलिट्री चीफ, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और सभी प्रांतों के गवर्नर शामिल हैं, लेकिन यह साफ नहीं है कि काउंसिल का फैसला सबकी सहमति से होगा या सुप्रीम अथॉरिटी का फैसला चलेगा।
वैसे सन 2016 में एलओसी पार हुई सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका निभाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ (रिटायर्ड) यह मानने को तैयार नहीं कि पाकिस्तान परमाणु हमला कर सकता है। इसके पीछे उनके अपने तर्क हैं। वह कहते हैं कि पाकिस्तानी एटमी हमले का एक ढांचा है। उसे शुरू करने के लिए कई संयोजनों की जरूरत होती है। कम से कम एक से ज्यादा कॉम्बिनेशन तो होते ही हैं।
कई सारी मशीनरी जुड़ी होती हैं। साथ ही कई चेक एंड बैलेंस होते हैं। पाकिस्तान के पास भी इसका बाकायदा ढांचा है और उनकी न्यूक्लियर कमांड पॉलिसी है। साथ ही उनकी नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल भी है। इसलिए पाकिस्तान की नापाक हरकतों के बावजूद हम यह नहीं कह सकते कि उनका न्यूक्लियर बटन असुरक्षित है। आर्मी वहां कई बार पहले भी चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर चुकी है, लेकिन संतुलन बना रहा। अगर टॉप जनरल न्यूक्लियर अटैक का निर्णय ले भी लें, तो वे अकेले ऐसा नहीं कर सकते।