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उत्तर प्रदेश ।। यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में पांच-पांच करोड़ रुपए की लागत से सड़कों के निर्माण की जिम्मेदारी उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के विभाग से लेकर ग्रामीण अभियंत्रण सेवा (आरईएस) विभाग को सौंप दी है।

लोकसभा चुनाव के लिहाज से विशेष तौर पर घोषित इस योजना के लिए सरकार ने अनुपूरक बजट में 750 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 31 मई को वित्तीय वर्ष 2018-19 में सभी विधानसभा क्षेत्र में 5 करोड़ रुपए की लागत से सड़कों के निर्माण का ऐलान किया था। उस समय इन सड़कों के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग को नोडल एजेंसी नामित किया गया था।

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अनुपूरक बजट में इस काम के लिए 750 करोड़ की व्यवस्था भी कर दी गई। यह बजट नियोजन विभाग के अंतर्गत संचालित आर्थिक विकास योजना में दिया गया। नियोजन विभाग के मंत्री खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। इस निर्णय का असर यह हुआ कि निर्माण कार्यों के लिए लोक निर्माण विभाग के दोषी होने के बावजूद घोषणा के अंतर्गत प्रस्तावित कार्यों की स्वीकृति और कार्यदायी संस्था नामित करने का अधिकार नियोजन के पास आ गया, लेकिन निर्माण कार्य के लिए नोडल एजेंसी होने की वजह से विधायकों ने काम के प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग को देने शुरू कर दिए।

लोक निर्माण विभाग उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पास है। इस योजना के काम सीधे तौर पर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से जुड़े विभागों के पास होने के बावजूद विधायकों के प्रस्ताव पर कार्रवाई बढ़ नहीं पा रही थी।

इस बीच लोक निर्माण विभाग ने सभी विधानसभा में 5-5 करोड़ के कामों से छुट्टी पाने और दूसरी कार्यदायी संस्था नामित किए जाने का प्रस्ताव बढ़ा दिया। सरकार ने इस पर निर्णय लेते हुए इस घोषणा के क्रम में विधायकों की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी ले लेकर आरईएस विभाग को सौंपने का आदेश कर दिया है। आरईएस विभाग के मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह हैं।

सचिव लोक निर्माण रंजन कुमार ने सरकार के निर्णय के संबंध में आदेश जारी कर दिया है। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ने संसदीय क्षेत्रवार सांसदों और विधायकों से मुलाकात के बाद इस योजना का ऐलान किया था। लोकसभा चुनाव को देखते हुए विधायक जल्द से जल्द सड़कों का काम शुरू कराना चाहते हैं, लेकिन यह काम बढ़ नहीं पा रहा था। ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उसके पास कामों की कमी रहती है। इस फैसले से विभाग के पास बड़ा काम आ गया है।

फोटो- फाइल

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