(पवन सिंह)
रतन टाटा और उनका सम्पूर्ण टाटा ग्रुप, एक ऐसा औधोगिक घराना रहा, जिसके मूल में पहले राष्ट्र रहा और फिर यहां के नागरिकों का स्वाभिमान और उनकी जरूरतें रहीं। टाटा ग्रुप ने कभी भी सत्ताओं के साथ मिलकर देश के संसाधनों को लूटकर जनता का खून चूसकर मुनाफाखोरी का दामन नहीं थामा। इसलिए आज हर हिन्दुस्तानी के दिलो-दिमाग में रतन टाटा विराजते हैं। टाटा ग्रुप ने न जंगलों को जबरिया हथियाया न पहाड़ खायें न नदियों और समुद्रतटों की लूट की। "चंदे की लूट और मनचाही छूट" से दूर टाटा ने हमेशा दूरी बनायें रखी। मुनाफाखोरी में टाटा ने कभी भी 30-31 दिन के महीने को 28 दिन का नहीं किया... रतन टाटा जैसी महान आत्मा तो जा चुकी है लेकिन बीएसएनएल के साथ टाटा ग्रुप जिस भावना से उतर रहा था, उसका भविष्य क्या होगा ये तो समय बतायेगा, लेकिन टाटा की आम जनता के प्रति संवेदनशीलता और उसकी पहचान "नैनो कार" की भावना कभी नहीं मरेगी!!
रतन टाटा एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने समूचे टाटा समूह वैश्विक साम्राज्य प्रदान किया। रतन टाटा का एक सपना था का उनके देश का नागरिक कम से कम एक कार वाला तो बने और इसके लिए रत्न टाटा ने 2012 में टाटा नैनो कार बाजार में उतार दी। यह भाव तब था जब रतन टाटा 75 साल की उम्र में रिटायर हो चुके थे। जमशेद जी टाटा ने 1868 में बिजनेस की शुरुआत। इसका आरंभ कॉमर्स फर्म के रूप में हुआ। वर्ष, 1907 में भारत का पहला एकीकृत स्टील प्लांट, टाटा स्टील ने ही स्थापित किया था। वर्ष, 1945 में टाटा मोटर्स की स्थापना हुई। टाटा लगातार अपना विस्तार करता चला गया...इस्पात, ऑटो, टेलीफोन, होटल्स आदि क्षेत्रों टाटा फैलता चला गया।
रतन टाटा वैश्विक बदलाव के साथ-साथ लगातार इनोवेटिव रहे। टीसीएस की आईटी सेवाएं और परामर्श प्रभाग, सॉफ्टवेयर क्षेत्र में मजबूत होकर सामने आया। टाटा ग्रुप आज 100 से अधिक देशों और कई उद्योगों में व्यवसाय कर रहा है। रतन टाटा ने अपने नैतिक मानकों के साथ कभी भी समझौता नहीं किया। उदारता और देश के प्रति कृतज्ञता का उनका भाव उन्हें तमाम मुनाफाखोर उद्योगपतियों से अलग करता है।
जेआरडी टाटा के पद छोड़ने के बाद रतन टाटा जी ने 1991 में टाटा समूह की कमान संभाली थी और फिर वह कभी नहीं रूके। आज टाटा ग्रुप की मार्केट वैल्यू 24,97,518 करोड़ रुपए हैं। टेटली टी ब्रांड को रतन टाटा ने वर्ष, 2000 में खरीद लिया था और 450 मिलियन डॉलर में इस ब्रांड को टाटा समू शह ने अपने साथ जोड़ लिया। फिर जिस कार जगुआर लैंड रोवर पर विदेशी इतराते थे उसे भी रत्न टाटा ने साल 2008 में खरीद लिया। यह डील 2.3 बिलियन डॉलर थी। इसके बाद नंबर लगा स्टारबक्स का, जिसे टाटा समूह ने साल 2012 में खरीदा था। आज स्टारबक्स के 50 से ज्यादा देशों में 16800 से भी ज्यादा स्टोर्स हैं। इसके बाद दम तोड़ती एयर इंडिया को टाटा ने ही संभाला। एक तरह से वर्ष , 2022 में एअर इंडिया की यह घर वापसी ही थी, एअर इंडिया को वर्ष, 1932 में टाटा ग्रुप ने आरंभ किया था।
आजादी के बाद भारत सरकार ने इसे टाटा ग्रुप से ले लिया था। लेकिन इसे 18000 करोड़ में टाटा ग्रुप ने सरकार से फिर वापस खरीद लिया। इसके बाद वेस्टसाइड यानि कि लिटिल वुड्स को भी टाटा ग्रुप ने खरीद डाला। मौजूदा समय में देश के अंदर 49 वेस्टस्टोर हैं जो 28 शहरों में चल रहे हैं।
रतन टाटा की दिली ख्वाहिश थी कि देश में चीन की तरह हजारों-लाखों स्टार्टप्स खुलें। रतन टाटा इसके लिए आगे आए और 45 से ज्यादा स्टार्टअप्स में निवेश किया। रतन टाटा के ईमानदारी भरे मार्गदर्शन में इनमें से कई कंपनियां यूनिकॉर्न बनीं। रतन टाटा जी ने अपस्टॉक्स और कार देखो जैसे कई स्टार्टअप्स में शुरुआती पैसा लगाया। रतन टाटा की संवेदनशीलता देखिए खास बात ये है कि उन्होंने अनेक स्टार्टअप्स में निवेश तब किया जब ये सभी स्टार्टअप्स अपने सेक्टर में लीडर्स नहीं थे और आर्थिक रूप से टूट चुके थे। इनमें अर्बन कंपनी, कैशकरो, ब्लूस्टोन, कार देखो और ट्रैक्सन जैसे नाम शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने लेंसकार्ट जैसी कंपनी में भी खुद से निवेश किया जो, उनकी कंपनी टाइटन की कॉम्पिटेटिव है। रतन टाटा बिजनेस में रिस्क लेने से कभी नहीं हटे, लक्जरी कार कंपनी जगुआर लैंड रोवर जैसे नए बिजनेस में निवेश करने का जोखिम रतन टाटा ने उठाया। यूरोप की दूसरी बड़ी स्टील कंपनी कोरस का भी अधिग्रहण किया।
होटल बिजनेस, टाटा ग्रुप के लिए भारत और भारतियों के मान-सम्मान की लड़ाई का अनुपम उदाहरण है। अंग्रेजों से मिले अपमान का बदला लेने के लिए इस होटल की शुरुआत हुई थी, उन्हीं अंग्रेज़ों को होटल ताज को दुनिया का सबसे मजबूत ब्रांड करार देना पड़ा। ताज होटल्स, टाटा समूह की 'इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड' का ब्रांड है।
वर्ष, 2024 में 'ताज' को दुनिया का सबसे मजबूत होटल ब्रांड चुना गया है. वर्ल्ड ऑफ स्टेटिस्टिक्स पर शेयर किए गए ब्रिटेन की ब्रांड वैल्यूएशन कंसल्टेंसी के डाटा के मुताबिक, टॉप-10 पावरफुल होटल की लिस्ट में होटल ताज सबसे ऊपर है। ब्रिटेन की ब्रांड वैल्यूएशन कंसल्टेंसी ‘Brand Finance' ने अपनी सालाना रिपोर्ट में टाटा ग्रुप के इस होटल ब्रांड ताज को दुनिया का सबसे स्ट्रॉन्ग होटल ब्रांड करार दिया है और World Of Statistics ने इनमें से टॉप-10 होटलों की लिस्ट शेयर की है।
बेशुमार कामयाबी हासिल करने के बावजूद रतन टाटा नैनो से चलते थे। नैनो कार, उन्हें आम भारतीय नागरिकों से जुड़े रहने की फीलिंग देती थी। रतन टाटा, न कोई दिखावा, न तड़क-भड़क, न उद्योगपति होने की ठसक..!! राष्ट्र के लिए जीना, राष्ट्र की जनता के लिए जीना...यहीं रत्न टाटा की पहचान थी। मुनाफाखोरी, चंदाखोरी से बहुत दूर रहें रत्न टाटा और पूरी टाटा कंपनी...अब आगे की पीढ़ी कैसे संभालेंगी..ये वक्त बतायेगा। दरअसल, रतन टाटा, "रत्न टाटा" थे...!!
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