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नई दिल्ली।। आम जनता के साथ इससे भद्दा मजाक क्या हो सकता है कि मुख्यमंत्री द्वारा पहले लाभार्थियों को तोहफा दिया जाता है और फिर जैसे ही मुख्यमंत्री वापस जाते हैं उनसे वो तोहफा वापस ले लिया जाता है। सरकारी महकमा जरूरतमंद लोगों के हालात का मजाक कैसे उड़ाता है, इस बात का अंदाजा मध्य प्रदेश की इस घटना से लगता है।

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शिवपुरी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदिवासी जनता को जो तोहफे देकर आये थे उन्हें वापस ले लिया गया। वहीँ इस सम्बन्ध में अधिकारियों का कहना है कि गांववालों को कोई गलतफहमी हुई है।

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बता दें कि बीते 9 दिसंबर को सीएम शिवराज सिंह चौहान सहरिया के एक सम्मेलन में शामिल हुये थे। गांववालों का आरोप है कि समारोह में मुख्यमंत्री द्वारा आदिवासी कन्याओं को जो तोहफे और 2100 रुपये दिये गये थे, जिला प्रशासन ने सीएम के जाने के बाद सब वापस ले लिया।

वहीँ इस मामले में शिवपुरी कलेक्टर का कहना है कि “कन्याओं को केवल 100 रुपये दिये गये थे, न कि 2100 रूपये। उन्होंने कहा कि गांववालों को कोई गलतफहमी हुई है। उन्होंने बताया कि तोहफे में स्वेटर दिये थे।”

गौरतलब है कि मध्य-प्रदेश में शिवपुरी के सहरिया आदिवासियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हाल ही में कुछ दिन पहले शिवपुरी में सहरिया आदिवासियों के घरों के बाहर लिख दिया गया था- “मेरा परिवार गरीब है” क्योंकि ये गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोग हैं।

हालाँकि सीएम शिवराज सिंह चौहान इन आदिवासियों की परिस्थितियों से अनजान नहीं हैं। उन्होंने पिछले दिनों शिवपुरी जिले के दौरे के दौरान आदिवासी सम्मेलन में सहरिया आदिवासियों में बढ़ते कुपोषण को लेकर चिंता भी जताई थी। सीएम ने कहा था कि “इस पर अंकुश लगाने के लिए इन परिवारों को राज्य सरकार सब्जी, फल और दूध के लिये हर माह एक हजार रुपये देगी।”

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