
डेस्क. भारतीय क्रिकेट टीम के सर्वश्रेष्ठ क्षेत्राक्षकों में शुमार रहे मध्यक्रम के उम्दा बल्लेबाज मोहम्मद कैफ ने भारत के लिए आखिरी मैच खेलने के करीब 12 साल बाद सभी तरह के प्रतिस्पर्धी क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
सैंतीस बरस के कैफ ने 13 टेस्ट, 125 वनडे खेले थे और उन्हें लाडर्स पर 2002 में नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल में 87 रन की मैच जिताने वाली पारी के लिए जाना जाता है।
भारत के लिए 12 साल पहले खेला था मैच
कैफ ने बीसीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष सी के खन्ना और कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी को ईमेल भेजकर लिखा,’मैं अब सभी तरह के क्रिकेट से संन्यास ले रहा हूं।’ वह विश्व कप 2003 में फाइनल खेलने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे।
युवराज सिंह के साथ वह अंडर 19 क्रिकेट से चमके थे। उत्तर प्रदेश के लिए रणजी ट्राफी जीतने वाले कैफ ने आखिरी प्रथम श्रेणी मैच छत्तीसगढ के लिए खेला था।
कैफ ने वेस्टइंडीज के खिलाफ किंग्स्टन में 30 जुलाई, 2006 को अपना आखिरी टेस्ट और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पोर्ट एलिजाबेथ में 29 नवंबर, 2006 को अपना आखिरी वनडे मुकाबला खेला था।
16वीं वर्षगांठ पर लिया क्रिकेट से संन्यास
उन्होंने लिखा,’नेटवेस्ट ट्रॉफी में मिली जीत को 16 साल हो गए हैं और आज मैं संन्यास ले रहा हूं। मैं भारत के लिए खेलने का मौका दिए जाने के लिए बोर्ड का शुक्रगुजार हूं।’
सौरव गांगुली की अगुवाई में भारतीय टीम जब भारतीय क्रिकेट के इतिहास के सुनहरे पन्ने लिख रही थी तो युवराज के साथ कैफ उसका अभिन्न अंग थे।
कैफ ने 13 टेस्ट में 32 की औसत से 2753 रन बनाए। वहीं 125 वनडे में उनका औसत 32 का रहा। कैफ हिन्दी क्रिकेट कमेंटेटर के रूप में कैरियर की दूसरी पारी शुरू कर चुके हैं।
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