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नई दिल्ली।। तीसरा मोर्चा ने देश की राजनीति में जबर्दस्त दस्तक दी है। तीसरे मोर्चे की नेता इस बार बीएसपी अध्यक्ष मायावती हैं। उत्तर प्रदेश में सपाजवादी पार्टी के गठबंधन के बाद मायावती ने भाजपा का मुकाबला करने के लिए अभय चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) साथ गठबंधन कर लिया है। अब दोनों पार्टियां वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव और यूपी व हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावों को एक साथ मिलकर लड़ेंगे। इस गठबंधन का मकसद भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ तीसरा मोर्चा तैयार करना है। यह तीसरा मोर्चा बसपा अध्यक्ष मायावती के नेतृत्व में बनेगा।

वहीँ सपा अध्यक्ष की राय इससे अलग है। अखिलेश यादव का कहना है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस समेत सभी दलों को एक मंच पर लाना होगा यानी तीसरे मोर्चे में कांग्रेस भी शामिल होगी। जबकि मायावती और अभय चौटाला की पार्टी के बीच हुये इस गठबंधन के बाद कहा गया कि यह तीसरा मोर्चा भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ है। दोनों दलों ने देश को लूटा है और अब इनको सत्ता से बाहर किया जायेगा।

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किसानों और दलितों को एक मंच

माना जा रहा है कि तीसरा मोर्चा किसानों और दलितों को एक मंच पर लाने का काम करेगा। भाजपा की सरकार में हरियाणा अब तक तीन बार जल चुका है। आईएनएलडी और बसपा के हाथ मिलाने से एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि हरियाणा में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को दोनों दल मिलकर लड़ेंगे, लेकिन वर्ष 2019 में होने वाले चुनावी गठबंधन को लेकर फिलहाल तस्वीर साफ होती नहीं दिख रही है।

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मोर्चे से कांग्रेस को बाहर

समाजवादी पार्टी इस चुनावी मोर्चे में कांग्रेस को साथ लेकर चलना चाहती है, वहीँ बीएसपी और आईएनएलडी इस मोर्चे से कांग्रेस को बाहर रखने की बात कर रहे हैं। इन दोनों ही दलों का कहना है कि तीसरा मोर्चा सिर्फ बीजेपी ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के भी खिलाफ होगा। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने देश को लूटा है। इन हालातों में आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर बीएसपी और एसपी के बीच मतभेद तीसरे मोर्चा के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं। गौरतलब है कि बीएसपी से पहले एसपी और कांग्रेस साथ मिलकर यूपी विधानसभा चुनाव लड़ चुकी है। हालांकि यूपी में हाल ही में उप-चुनाव बसपा और सपा ने मिलकर लड़ा था, जिसमें भाजपा को करारी शिकस्त मिली थी।

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