नई दिल्ली ।। कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकी हमले के बाद हिंदुस्तान पड़ोसी देश पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने के लिए निरंतर कदम उठा रहा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि हिंदुस्तान आने वाले दिनों में पाकिस्तान का पानी रोक सकता है।
पुलवामा में CRPF जवानों के हमले के बाद सिंधु जल समझौते के तहत पाकिस्तानी को मिलने वाले पानी पर रोक लगाने की मांग की जा रही है। व्यास, रावी और सतलज नदियों का पानी हिंदुस्तान से होकर पाकिस्तान पहुंचता है।
बागपत में रैली को संबोधित करते हुए गडकरी ने बुधवार को कहा, ‘हिंदुस्तान पाकिस्तान को दी जाने वाली तीन नदियों का पानी रोकेगा। हिंदुस्तान के इस कदम से पाकिस्तान बूंद-बूंद पानी के लिए तरसेगा। उन्होंने कहा, ‘तीन नदियों के अधिकार का पानी प्रोजेक्ट बनाकर पाकिस्तान की बजाय यमुना में छोड़ा जाएगा।’
हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर 19 सितंबर 1960 को हुआ था। हिंदुस्तान की तरफ से प्रथम पीएम जवाहरलाल नेहरू और पाक के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। दोनों देशों के बीच यह संधि विश्व बैंक के हस्तक्षेप से हुई थीं। इससे पहले लगभग एक दशक तक दोनों देशों के बीच इस मसले पर बातचीत हुई थी।
इस समझौते के तहत सिंधु नदी घाटी की नदियों को पूर्वी और पश्चिमी नदियों में बांटा गया। समझौते के मुताबिक झेलम और चेनाब नदियों (पश्चिमी नदियों) के पानी को पाकिस्तान के लिए दिया गया, जबकि रावी, ब्यास और सतलज नदियों (पूर्वी नदियों) का पानी हिंदुस्तान के लिए तय किया गया।
समझौते के अंतर्गत हिंदुस्तान को बिजली बनाने और कृषि कार्यों के लिए पश्चिमी नदियों के पानी के इस्तेमाल का भी कुछ सीमित अधिकार दिया। दोनों पक्षों के बीच विवाद होने और आपसी विमर्श के बाद भी इसका निपटारा नहीं होने पर किसी तटस्थ विशेषज्ञ की सहायता लेने या कोर्ट ऑफ ऑर्बिट्रेशन में जाने का प्रावधान किया गया है।