ट्रंप की इस रणनीति से डरे रूस और चीन, हिंदुस्तान की भी मुश्किलें बढ़ी

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उत्तराखंड ।। अमेरिकी मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम को लेकर चीन और रूस में खौफ साफतौर पर दिखाई दे रहा है। चीन की एक और चिंता अमेरिकी योजना में भारत को अहम साझेदार बनाने और उसकी नई हिंद-प्रशांत नीति को लेकर भी है।

वहीं अमेरिका ने अपनी 81 पन्‍नों की मिसाइल रक्षा समीक्षा रिपोर्ट में यह साफ कर दिया है कि चीन और रूस लगातार अपनी मिसाइल तकनीक में इजाफा कर रहे हैं इसके अलावा अमेरिका की उत्तर कोरिया से भी लगातार खतरा बना हुआ है। इन देशों से से बढ़ते खतरे के मद्देनजर अपनी सुरक्षा को मजबूत करना उसकी अहम जिम्‍मेदारी है।

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इसके लिए जरूरी है कि अमेरिका के पास ऐसी तकनीक हो जिसके जरिए वह अमेरिका की तरफ आने वाले हर खतरे को कहीं से भी और कभी भी खत्‍म कर सके।

इसके अलावा हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की सुरक्षा एवं कूटनीति की आधारशिला जापान, दक्षिण कोरिया और आस्ट्रेलिया के साथ उसके मजबूत द्विपक्षीय संबंध और भारत जैसे देशों के साथ मजबूत होते सुरक्षा संबंध हैं। आपको यहां पर बता दें कि पहली बार अमेरिका की तरफ से इस तरह का जिक्र 2010 में किया गया था और अब ट्रंप ने इसको अमलीजामा पहनाने की तरफ कदम बढ़ा दिया है।

इस योजना का खुलासा करने के एक ही दिन बाद अमेरिका अपने सबसे भारी रॉकेट एलाइंस डेल्टा -4 के साथ अपनी नई और अत्याधुनिक तकनीक से लैस स्पाई सेटेलाइट को भी प्रक्षेपित कर रहा है। यह सेटेलाइट शनिवार को केलिफोर्निया के वेंडेनबर्ग एयरफोर्स बेस से लॉन्च की जानी है। अमेरिका के मुताबिक यदि मौसम ने साथ दिया था इसको स्थानीय समयानुसार 11 बजकर 5 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा।

वहीं चीन की सरकारी मीडिया की ओर से अमे‍रिका की इस योजना की कड़ी आलोचना की गई है। चीन के अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने कहा है कि इस योजना की वजह से एशिया में हथियारों की होड़ बढ़ जाएगी जो यहां पर अस्थिरता लाने में सहायक होगी। यहां पर ये ध्‍यान में रखना होगा कि अमेरिका ने बढ़ते खतरे को देखते हुए हाइपरसोनिक और क्रुज मिसाइल विकसित करने की जिस योजना पर काम करने का मन बनाया है।

उस पर रास्‍ते पर रूस काफी पहले से चल पड़ा है। इतना ही नहीं रूस ने हाल ही में अपनी सबसे ताकतवर सुपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण भी किया था। इसके जरिए वह दुनिया के किसी भी कोने को एक घंटे से भी कम समय में निशाना बना सकता है। इसमें भी सबसे बड़ी बात ये है कि रूस की इस मिसाइल का तोड़ अमेरिका समेत दुनिया के किसी देश के पास नहीं है।

रूस के इस मिसाइल परीक्षण के बाद अमेरिका का डर साफतौर पर दिखाई दिया था। अमेरिका की मौजूदा मिसाइल डिफेंस रिपोर्ट ने इस डर को कहीं न कहीं सही साबित कर दिया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि कहीं भी’ और किसी भी समय दुश्मनों की मिसाइलों को न करने के उद्देश्य से देश की मिसाइल रक्षा प्रणाली की तैनाती को और सुदृढ़ तथा दीर्घकालिक किया जाएगा। उनके मुताबिक जमीन और समुद्र में तैनात की गईं मिसाइल अवरोध रक्षा प्रणाली को और मजबूत तथा लंबे समय तक तैनात रखने के लिए उन्नत तकनीक का सहारा लिया जाएगा।

जहां तक भारत की बात है तो यह बात जगजाहिर है कि क्‍योंकि चीन पूरे एशिया में अपना दबदबा कायम रखना चाहता है और उसकी इस मुहिम में भारत के बढ़ते कदम सबसे बड़ी रुकावट बने हुए हैं। ऐसे में भारत को मिला अमेरिका का साथ उसके लिए भविष्‍य में परेशानी का सबब बन सकता है। यहां पर ये भी ध्‍यान में रखना जरूरी है कि चीन और अमेरिका के संबंध कई मुद्दों पर बेहद खराब हो चुके हैं।

दक्षिण चीन सागर पर तो दोनों कई बार आमने सामने भी आ चुके हैं। वहीं दूसरी तरफ चीन लगातार रणनीतिक क्षेत्र में इजाफा कर रहा है। इसके तहत पिछले एक वर्ष में उसने स्‍वदेशी और अत्‍याधुनिक तकनीक से लैस युद्धपोत, परमाणु पनडुब्‍बी, जेट तक को सफलतापूर्वक सेना में शामिल किया है। उसके बढ़ते कदम और अमेरिका से उसकी प्रतिद्वंदिता का ही परिणाम है कि वह एशिया से निकलकर अफ्रीका में जिबूती तक जा पहुंचा है।

साभार- जागरण

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