समाजवादी पेंशन को लेकर 37 जिलों से आयी इस रिपोर्ट को लेकर मच सकता है हंगामा

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लखनऊ।। समाजवादी पार्टी की एक महत्वाकांक्षी योजना में बड़े फर्जीवाड़े का

खुलासा हुआ है। समाजवादी पेंशन योजना पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की

लोकप्रिय योजनाओं में से मानी जाती है और समाजवादियों के हर कार्यक्रम में

इस योजना की तारीफों के जमकर पुल बांधे जाते थे। यहाँ तक कि आज भी जब

समाजवादी पार्टी का कोई कार्यक्रम होता है तो समाजवादी पेंशन योजना की

चर्चा जरूर होती है।

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अखिलेश यादव ने ‘समाजवादी पेंशन’ योजना के लिए मशहूर अभिनेत्री विद्या

बालन को योजना का ब्रांड एम्बेसडर बनाया था। उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान भी

‘समाजवादी पेंशन’ योजना की तारीफों के पुल बांधे गए थे और यहाँ तक कहा गया

था कि इस योजना की जगह कोई नहीं ले सकता है। लेकिन सरकार जाते ही बीजेपी

ने पूर्ववर्ती सरकार न सिर्फ ऐसी कई योजनाओं को बंद कर दिया बल्कि उन योजनाओं

से ‘समाजवादी’ शब्द हटाकर उनको नया नाम भी दे दिया।

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इतना ही नहीं अखिलेश यादव की कई योजनाओं की जाँच के आदेश भी दे दिये थे। रिवर फ्रंट से लेकर आगरा-एक्सप्रेसवे पर भी योगी सरकार सरकार ने ऊँगली उठाई थी। अनियमितता के मामले में अब ‘समाजवादी पेंशन’ पूर्व सीएम अखिलेश यादव के लिये मुसीबत बन सकती है क्योंकि 33 जिलों से आई रिपोर्ट में ऐसी कई बातें सामने आयीं हैं जो हैरान करने वाली हैं।

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सपा सरकार की इस पेंशन योजना में सबसे अधिक गड़बड़ी बिजनौर की सामने आई है। योगी सरकार ने योजना में गड़बड़ी की जांच के आदेश दे दिए हैं। योगी सरकार बनने के बाद से ही हो रही इस जांच में समाजवादी पेंशन योजना की अबतक 37 जिलों की रिपोर्ट आ चुकी है। पक्के मकान और ट्रैक्टर वालों को भी पेंशन मिलता रहा। यहाँ तक कि कई नौकरीपेशा महिलाओं को भी पेंशन मिल रही थी। बिजनौर में 100 से अधिक मामलों में गड़बड़ी मिली है और सबसे हैरानी की बात तो यह है कि मृतकों को भी पेंशन बांटी जा रही थी।

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अब तक की जाँच में ये बात सामने आयी है कि अखिलेश सरकार में 40 से अधिक लखपति परिवारों को भी पेंशन मिल रही थी। समाजवादी पेंशन में सबसे बड़ा घोटाला बिजनौर में सामने आया है। जबकि सुल्तानपुर में 24 शिक्षकों को भी पेंशन मिल रही थी। 2600 अपात्रों को योजना की पेँशन मिलने की बात सामने आयी है। बिजनौर के बाद सुल्तानपुर में भी बड़ी गड़बड़ी मिली है। बता दें कि अखिलेश यादव ने समाजवादी पेंशन योजना बंद होने को द्वेष की राजनीति का नाम दिया था लेकिन अब इस मामले में पूर्व सीएम अखिलेश का क्या रुख होता है ये देखने वाली बात होगी।

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