
दिल्ली पुलिस ने 19 अगस्त 2013 की रात को नाबालिग का मेडिकल कराया और 20 अगस्त 2013 को आसाराम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। पुलिस ने 20 अगस्त 2013 को ही नाबालिग के मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराए थे। इसके बाद 21 अगस्त 2013 को यह एफआईआर जोधपुर स्थानांतरित कर दी गई थी।
12 जमानत याचिकाएं फिर भी मिली मायूसी
इस मामले में न्यायिक हिरासत के तहत साल 2013 से जेल में बंद आसाराम के पक्ष की ओर से 12 जमानत याचिकाएं डाली गई लेकिन सभी अर्जियां विभिन्न अदालतों से खारिज होती गईं। ट्रायल कोर्ट से छह जबकि राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से तीन-तीन जमानत याचिकाएं समय समय पर खारिज कर दी गईं।
जमानत दिलाने में दिग्गज वकील भी रहे फेल
आसाराम को राम जेठमलानी, सुब्रह्मण्यम स्वामी, सलमान खुर्शीद, के. के. मनन, राजु रामचंद्रन, सिद्धार्थ लूथरा, के. एस. तुलसी सहित देश के कई जाने माने वकील भी जमानत दिलाकर जेल से बाहर निकालने में फेल साबित हुए।
सुप्रीम कोर्ट से मिला था तगड़ा झटका
आखिरी बार 30 जनवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने जबर्दस्त फटकार लगाते हुए मेडिकल ग्राउंड पर आधारित जमानत याचिका खारिज कर दी और एक लाख रुपए तक का जुर्माना भी ठोक दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम के स्वास्थ्य से जुड़े फर्जी दस्तावेज पेश करने के मामले में नई एफआईआर भी दर्ज करने के निर्देश दिए।