भारत-मालदीव संबंध सबसे अच्छे समय से नहीं गुजर रहे हैं, सूत्रों के मुताबिक, भारत ने मालदीव के सिनामाले ब्रिज की हालिया उद्घाटन पर अपना प्रतिनिधि नहीं भेजा, जिसे मालदीव ने चीन से 72 मिलियन अमरीकी डालर का ऋण लेकर बनाया है. बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए मालदीव द्वारा भारतीय राजदूत अखिलेश मिश्रा को एक निमंत्रण दिया गया था.
हालांकि, यह केवल भारत ही एकमात्र ऐसा देश नहीं है, जो इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ, मालदीव की विपक्षी पार्टी के प्रवक्ता अहमद महलोफ के अनुसार, श्रीलंका और बांग्लादेश के राजदूत भी इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. अहमद ने 31 अगस्त को पोस्ट किए गए एक ट्वीट में कहा था, “श्री लंका और बांग्लादेश के राजदूतों ने ब्रिज उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया क्योंकि उनकी कारें राष्ट्रपति यमीन की सुरक्षा के कारणों से रोक दी गई थीं और उन्हें पैदल चलने के लिए कहा गया था, केवल चीनी राजदूत की कार को स्थान पर जाने की इजाजत थी. पारम्परिक मित्रों के लिए यह अपमान जनक था.”
बता दें कि दो किलोमीटर लम्बे यह पुल राजधानी नर और हुहुले द्वीप को जोड़ता है, साथ ही इस पुल को चीन-मालदीव दोस्ती का पुल भी कहा जाता है. वहीं विपक्ष ने पुल को चीन के ऋण जाल के रूप में बताया है और इस परियोजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का राष्ट्रपति यमीन पर आरोप भी लगाया है.
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