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यूपी किरण ब्यूरो

गोरखपुर/लखनऊ।। फरिश्ता बनकर आये इंचार्ज डॉक्टर कफील अहमद ने अगर सही वक्त पर 10 जम्बो सलेंडर न मंगवाये होते तो 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो सकती थी। योगी के गृह जनपद गोरखपुर में आक्सीजन की कमी से अब तक 63 बच्चों की मौत हो चुकी है।जब सलेंडर की कमी और पड़ने लगी तो इंचार्ज डॉक्टर ने डीएम को फोन लगाया और एसपी को फोन लगाया लेकिन किसी ने उनका फोन नहीं उठाया।

हुआ यूं कि आक्सीजन की आपूर्ति नहीं,आक्सीजन था ही नहीं। रात में सबको पता था कि आक्सीजन नहीं है। इस स्तिथि में भी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य दिल्ली चले गए थे और सभी सीनियर डॉक्टर भी वहां से जा चुके थे।

जब रात में ऑक्सीजन की कमी के चलते रात में करीब 2 बजे जब बच्चों की मौत होने लगी तब वहां के इंचार्ज डॉक्टर कफील अहमद को सीनियर डॉक्टरो ने फोन किया।उसके बाद डॉक्टर कफील ने सरकारी अस्पतालों को फोन किया। जब वहां भी आक्सीजन नहीं मिला तो उन्होंने एसएसबी को फोन किया। फिर एसएसबी ने अपने अस्पताल से 10 जम्बो आक्सीजन सलेंडर भेजे। अगर एसएसबी ने सलेंडर न भेजे होते तो और स्थिति ज्यादा भयावह होती।

यही नहीं शासन ने इसका खण्डन भी जारी कर दिया। लेकिन इस शासन के दावे की पोल तब खुलती नजर आयी। जब आक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का लीगल नोटिस की बात सामने आयी।

आपको बता दें कि ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाली कंपनी ने जो लीगल नोटिस भेजा था वो 30 जुलाई का है।

यदि शासन प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया होता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती। इस मामले में प्रिंसिपल की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है।रात में जिले के आलाअधिकारियों से बात करने की कई कोशिशें की गयी लेकिन फ़ोन नहीं उठा। एक तरफ डीएम चैन की नींद सो रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ बेचारे मासूम तड़प-तड़प कर अपना दम तोड़ रहे थे।

फोटोः फाइल

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