
(पवन सिंह)
उत्तर प्रदेश का एक सबसे महत्वपूर्ण विभाग है वित्त एवं लेखा। चूंकि यह वित्तीय संस्थान है लिहाजा यहां सब कुछ नियम कानून के तहत होना चाहिए लेकिन जैसे लगभग हर सरकारी विभाग में मिक्स वेज जैसा हाल है, वैसा ही हाल यहां भी है।
जवाहर भवन स्थित मुख्यालय में निदेशक पद को लेकर 20-20 ओवर का मैच चल रहा है। मल्लब 20 ओवर तू खेल 20 ओवर मैं खेलता हूं। कोषागार का मुख्य आला अधिकारी निदेशक होता हे जो कि वित्त एवं लेखा सेवा का वरिष्ठतम अधिकारी होता है। पूर्व में वित्त एवं लेखा का जो भी वरिष्ठता क्रम में पहले होता था वही निदेशक कोषागार बनाया जाता था। फिर आई नियम-कानूनों वाली सख्त सरकार और निदेशक कोषागार का पद बन गया 20-20 के मैच। अब होते रहिए आप वरिष्ठता के क्रम में अगर आप की सत्ता और उससे सटे पंचमतलीय अधिकारियों से फ़िक्सिंग नहीं है तो बांउड्री लाइन के बाहर बैठकर मैच देखिए।
वर्तमान समय में वरिष्ठता क्रम को तोडते हुए काफ़ी कनिष्ठ दो अधिकारियों विजय कुमार सिंह और पंकज सक्सेना के बीच कोषागार निदेशक के पद पर 20-20 का मैच जारी है और इस पद का वास्तविक उम्मीदवार दर्शक दीर्घा के बैठा चियर्स गर्ल्स का डांस देख रहा है। इन दोनों अधिकारियों को बदल-बदल कर अतिरिक्त चार्ज दिया जा रहा मल्लब छह महीने तू मौज ले छह महीने मैं मौज लेता हूं....!!! जबकि वरिष्ठता क्रम में कई अधिकारी मौजूद हैं और उनमें से लोग रिटायर्ड होते चले जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार इस सारी मैच फिक्सिंग के पीछे एक "नीले" रंग के "रत्न" अधिकारी का हाथ है। खुद तो निदेशक, कोषागार के पद से रिटायर हो गये लेकिन पद से मोह न गया। बंदा आफ लाइन बैठा टनाटन गेम खेल रहा है। "नीला रत्न" खोद कर निकाल तो दिया गया मल्लब रिटायर तो हो गया लेकिन बैकडोर से वित्त एवं कोषागार के स्टेडियम में जा घुसा। यह नीला रत्न सितंबर, 2024 में रिटायर होने के बाद आज भी वित्त विभाग में विशेष सचिव के पद पर झोलझोल कर रहा है महत्वपूर्ण पत्रावलियों पर बाकायदा हस्ताक्षर कर रहा है और शासनादेश तक जारी कर रहा है। तुर्रा ये भी है कि वह धड़ल्ले से सरकारी गाड़ी का भी उपयोग कर रहा है और सहायकों का भी।
इस "नीले रत्न" की एक बहुत ही करीबी महिला अधिकारी हैं...जो नीले रत्न के बिना कोई काम न करती है...अस्तु सत्यनारायण की इस कथा का पूरा साथ यह है कि नीले रत्न अधिकारी को जब तक कोई अपने खांचे का फिटफाट फाटक नहीं मिल जाता कोषागार निदेशक का पद 20-20 का मैच बना रहेगा। अब तो इस नियम-कानूनों की सख्ती वाली सरकार की सख्ती ये है कि कुछ अखबारों ने खबरें तक प्रकाशित कहीं लेकिन नीला रत्न अभी तक वित्त एवं कोषागार विभाग के खंबे में जड़ा हुआ है। ...कोई माई का लाल इसे निकाल न पा रहा।
।। कथा समाप्त हुई।।
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