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यूपी किरण ब्यूरो

लखनऊ/कानपुर।। अजब यूपी, गजब यूपीएसआईडीसी का कारनामा एक बार फिर उजागर हो गया। प्रमुख सचिव का कहना है कि शासन की तबादला नीति यहां लागू नहीं होती है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि योगी सरकार का कानून क्या यहां नहीं चलता है।

उत्तर प्रदेश राज्य उद्योगिक विकास लिमिटेड ने शासन की स्थानान्तरण नीति को धता बताते हुए मनमाने तरीके से 85 लोगों का ट्रांसफर कर दिया है। इसमें अधिकारी और बाबू संवर्ग के लोग शामिल हैं। इस स्थानान्तरण में ऐसे लोग प्रभावित हुए हैं, जिन्हें अभी साल से डेढ़ साल ही हुए थे, उनका भी ट्रांसफर कर दिया गया है और जो अधिकारी और बाबू 10 से 15 वर्षों से जमें हुए हैं उनका ट्रांसफर नहीं किया गया।

हकीकत तो यह है कि यूपीएसआईडीसी यूनियन के अध्यक्ष और महामंत्री का स्थानान्तरण जिले से बाहर नहीं किया जा सकता है। उनका भी ट्रांसफर मुख्यालय से दूर कर दिया है। यूनियन के अध्यक्ष चंद्रदीप श्रीवास्तव जिनका ट्रांसफर कानपुर से आगरा कर दिया गया है। ऐसे कर्मी जिनका सेवा काल मात्र दो वर्ष या उससे कम बचा हुआ है, उन्हें गृह जनपद अथवा स्वेच्छा अनुसार तैनात किये जाने का प्रावधान है। ऐसे कर्मचारियों को भी गृह जनपद से दूर कर दिया गया है।

यूनियन के अध्यक्ष चंद्रदीप श्रीवास्तव का कहना है कि सारे तबादले पिक एंड चूज के आधार पर किए गए हैं। ये तबादले निजी हित और पक्षपातपूर्ण हैं।

देखिए तबादले की लिस्ट।

तबादले को लेकर उठ रहे ये सवाल

  • कार्मिक अनुभाग में 10 साल से अधिक से लोग जमे हुए हैं। उन्हें नहीं हटाया गया।
  • विद्युत प्रखंड में भी 10 साल से लोगों का तबादला नहीं हुआ है। 
  • पिछले एक दो साल में जिनकी तैनाती हुई थी उनका तबादला फिर कर दिया गया।
  • स्थापना अनुभाग-परियोजना अनुभाग का भी यही हाल है। यहां भी लोग जमे हुए हैं।
  • युनियन के अध्यक्ष और महामंत्री का नियमानुसार तबादला नहीं किया जा सकता फिर भी चंद्र दीप श्रीवास्तव का तबादला कानपुर से आगरा कर दिया गया।
  • इस तरह से तमाम विभागों में लोग 10 साल से अधिक समय से जमे हुए हैं। उनका तबादला नहीं किया गया है।
  • जिनकी सेवा 2 साल है उन्हें गृह जनपद या स्वेक्षा अनुसार पोस्टिंग दिए जाने का प्राविधान है। फिर भी ऐसे लोगों का तबादला अन्य जगहों पर कर दिया गया।
  • भ्रष्टाचार के आरोपी और कई मामले में जांच का सामना कर रहे लोगों को भी आरएम बना दिया गया है।

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