नई दिल्ली।। हमारे देश भारत के हर स्थान में छिपा है उसका कोई न कोई अतीत जो अपनी कहानी बयां करता है। इन धार्मिक जगहों में छुपे ये राज लोगों को ईश्वर का अस्तित्व मानने पर मजबूर कर देते हैं। ऐसे ही स्थानों में से एक है धार्मिक नगरी वृंदावन में मौजूद निधिवन। ये स्थान बेहद पवित्र, धार्मिक और रहस्यों से भरा पड़ा है। लेकिन यहाँ एक ऐसा रहस्य है जो इस स्थान को सबसे खास बनाता है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि विदेशी पर्यटक भी इस जगह की ओर खिंचे चले आते हैं। ऐसी मान्यता है कि ‘निधिवन’ में आज भी हर रात कृष्ण गोपियों संग रास रचाते हैं। यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के पश्चात बंद कर दिया जाता है। उसके बाद वहां कोई नहीं रहता है, यहां तक कि ‘निधिवन’ में दिन में रहने वाले पशु-पक्षी भी संध्या होते ही ‘निधिवन’ को छोड़कर चले जाते है।
‘निधिवन’ के बारे में मान्यता
‘निधिवन’ के अंदर ही है ‘रंग महल’ जिसके बारे में ऐसी मान्यता है की हर रोज रात यहां राधा और कृष्ण आकर रास रचाते हैं। रंग महल में राधा और कन्हैया के लिये रखे गए चंदन की पलंग को शाम 7 बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है।
सुबह 5 बजे जब ‘रंग महल’ का पट खुलता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली, दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है। रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते है और प्रसाद स्वरुप उन्हें भी श्रृंगार का सामान मिलता है।
शाम होते ही बंद हो जाता है निधि वन
वैसे तो शाम होते ही निधि वन बंद हो जाता है और सब लोग यहां से चले जाते है। लेकिन फिर भी यदि कोई छुपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो वह अंधा, गूंगा, बहरा, पागल हो जाता है ताकि वह इस रासलीला के बारे में किसी को बता ना सके। इसी कारण रात्रि 8 बजे के बाद पशु-पक्षी, परिसर में दिनभर दिखाई देने वाले बन्दर, भक्त, पुजारी इत्यादि सभी यहां से चले जाते हैं और परिसर के मुख्यद्वार पर ताला लगा दिया जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां जो भी रात को रुक जाता है वह सांसारिक बन्धनों से मुक्त हो जाता है।
जिसने की कोशिश उसका हुआ ये हाल
कुछ वर्ष पूर्व एक ऐसा ही वाक्या यहां हुआ था, जब जयपुर से आया एक कृष्ण भक्त रास लीला देखने के लिए निधिवन में छुपकर बैठ गया। जब सुबह निधि वन के गेट खुले तो वो बेहोश अवस्था में मिला, उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था। ऐसे अनेकों किस्से यहां के लोग बताते है।
ऐसे ही एक अन्य व्यक्ति थे पागल बाबा जिनकी समाधि भी निधि वन में बनी हुई है। उनके बारे में भी कहा जाता है की उन्होंने भी एक बार निधि वन में छुपकर रास लीला देखने की कोशिश की थी। जिससे वो पागल हो गये थे। चूंकि वो कृष्ण के अनन्य भक्त थे इसलिए उनकी मृत्यु के पश्चात मंदिर कमेटी ने निधिवन में ही उनकी समाधि बनवा दी।
दो-ढ़ाई एकड़ क्षेत्रफल में फैले निधिवन
लगभग दो ढ़ाई एकड़ क्षेत्रफल में फैले निधिवन के वृक्षों की खासियत यह है कि इनमें से किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं मिलेंगे तथा इन वृक्षों की डालियां नीचे की ओर झुकी तथा आपस में गुंथी हुई प्रतीत होते हैं। यहां लगे तुलसी के पेड़ जोड़े में हैं। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं।
नहीं ले जाता कोई एक भी टहनी
साथ ही एक अन्य मान्यता यह भी है की इस वन में लगी तुलसी की कोई भी एक डंडी नहीं ले जा सकता है। लोग बताते हैं कि जो लोग भी ले गये वो किसी न किसी आपदा का शिकार हो गये। इसलिए कोई भी इन्हें नहीं छूता। वन के आसपास बने मकानों में खिड़कियां नहीं हैं। यहां के निवासी बताते हैं कि शाम 7 बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता।
जिन लोगों ने देखने का प्रयास किया या तो अंधे हो गये या फिर उनके ऊपर दैवी आपदा आ गई। जिन मकानों में खिड़कियां हैं भी, उनके घर के लोग शाम 7 बजे मंदिर की आरती का घंटा बजते ही बंद कर लेते हैं। कुछ लोगों ने तो अपनी खिड़कियों को ईंटों से बंद भी करवा दिया है।
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