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चीनी प्रेसिडेंट जिनपिंग ने अपने करीबी विश्वासपात्र जनरल ली शांगफू को देश का नया रक्षा मंत्री बनाया है। जनरल शांगफू के नाम को संडे को आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी गई। जनरल शांगफू चीन के सबसे विवादित जनरल हैं और अमेरिका ने उन पर बैन लगा दिया है।

शांगफू की रक्षा मंत्री के रूप में नियुक्ति को चीन का एक कदम बताया जा रहा है जो यूएसए संग तनाव बढ़ा सकता है। जनरल शांगफू हमेशा अमेरिका के लिए सिरदर्द रहे हैं।

चीन के नए रक्षा मंत्री कौन हैं?

जनरल शांगफू ने चीन में कई प्रमुख एयरोस्पेस परियोजनाओं का प्रभार संभाला है। वे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सामरिक समर्थन बल में शामिल होने वाले पहले सैनिक हैं और अब देश के केंद्रीय सैन्य आयोग का हिस्सा होंगे। राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सैन्य आयोग के प्रमुख हैं।

बीते कल को जब नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में जनरल शांगफू के नाम की घोषणा की गई तो अमेरिका और चीन के बीच संबंधों में तनाव आना तय था। ली शांगफू वेई फेंगे की जगह लेंगे। अक्टूबर 2022 में आयोजित कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस में यह घोषणा की गई कि ली को चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग में शामिल किया जाएगा।

अमेरिका ने क्यों बैन किया?

2018 में, वह S-400 मिसाइल प्रणाली को लेकर अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित किए जाने वाले पहले जनरल बने। ली ने देश की सेना के लिए एस-400 और सुखोई-35 के लिए रूसी हथियार कंपनी रोसबोर्नएक्सपोर्ट के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। जिस समय उन पर प्रतिबंध लगाया गया था, उस वक्त वे चीन की रक्षा तकनीक को संभाल रहे थे। उस समय वे सर्वोच्च सैन्य आयोग में उपकरण विकास विभाग के निदेशक थे। ली और उनके डिवीजन के अलावा, अमेरिका ने कुछ रूसी रक्षा इकाइयों पर भी प्रतिबंध लगा दिया।

नहीं मिलेगा यूएस वीजा

प्रतिबंध के बाद जनरल शांगफू अमेरिकी वित्तीय व्यवस्था के तहत कोई लेन-देन नहीं कर सकेंगे। साथ ही, संयुक्त राज्य अमेरिका के अधिकार क्षेत्र के तहत विदेशी मुद्रा लेनदेन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ साथ अमेरिका में सभी संपत्तियां अवरुद्ध हैं और उन्हें कभी भी अमेरिकी वीजा नहीं मिल सकता है।

2015 में, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सामरिक सहायता बल का शुभारंभ किया। इसका मकसद अंतरिक्ष, साइबर, राजनीतिक और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध को आगे बढ़ाना था। जनरल शांगफू को इन सभी क्षेत्रों में महारत हासिल है।
 

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