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सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति का प्रतीक होता है और देशभर में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश के कानपुर में सावन के दौरान कई खास परंपराएं और धार्मिक आयोजन देखने को मिलते हैं, जो इसे बाकी जगहों से अलग बनाते हैं।

कानपुर की धरती को रामायण काल से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि यहां लव-कुश ने अपने पिता भगवान राम से युद्ध किया था। इसी पवित्र भूमि पर हर साल सावन में खास कांवड़ बनाई जाती है, जो आसपास के जिलों के साथ-साथ दूसरे राज्यों से आए श्रद्धालुओं को भी आकर्षित करती है।

यहां के मंदिरों में खास तौर पर दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ती है। बाबा आनंदेश्वर, जजमऊ शिव मंदिर और परशुराम घाट जैसे पवित्र स्थलों पर श्रद्धालु जलाभिषेक करने के लिए घंटों लाइन में खड़े रहते हैं। भक्त गंगा से जल लेकर कई किलोमीटर पैदल चलकर शिवालयों में चढ़ाते हैं।

सावन के इस पवित्र महीने में कानपुर के पारंपरिक अखाड़े भी जीवंत हो उठते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश और अन्य देशों के पहलवान भी यहां आकर दांव आजमाते हैं। कुश्ती मुकाबले धार्मिक आयोजनों का हिस्सा बन जाते हैं और लोग भारी संख्या में इनका आनंद लेने पहुंचते हैं।

यहां सावन केवल पूजा और व्रत का महीना नहीं है, बल्कि आस्था, संस्कृति और परंपराओं का जीवंत उत्सव है। हर गली-मोहल्ले में भजन-कीर्तन, भंडारे और झांकियां सजती हैं, जो भक्तों के मन में श्रद्धा का संचार करती हैं।

 

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