जम्मू-कश्मीर के बाद राजस्थान में भी लिथियम के विशाल भंडार मिले हैं। क्योंकि इससे इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए लिथियम के साथ-साथ लैपटॉप और मोबाइल के लिए रिचार्जेबल बैटरी की देश की जरूरत को पूरा किया जा सकेगा। इसके लिए दूसरे मुल्कों पर ज्यादा निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।
भारत के पास कितना लिथियम है?
फरवरी में, जम्मू और कश्मीर के रियासी जिले में 5.9 मिलियन टन का लिथियम रिजर्व पाया गया था। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का दावा है कि राजस्थान में जमा राशि जम्मू और कश्मीर में पाए जाने वाले से अधिक है।
लिथियम-आयरन, सॉलिड स्टेट, निकेल-मेटल हाइड्राइड, लेड-एसिड, अल्ट्राकैपेसिटर, आदि प्रकार की रिचार्जेबल बैटरी बाजार में उपलब्ध हैं। इनमें लिथियम-आयरन बैटरियों को सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि इनमें उच्च ऊर्जा भंडारण क्षमता होती है। ये उच्च तापमान पर भी अच्छी तरह से काम कर सकते हैं। इन बैटरियों को बनाने में कम लागत आती है और ये अधिक समय तक चलती हैं।
यह धातु एक साधारण चाकू से काटे जाने के लिए पर्याप्त नरम और पानी में तैरने के लिए पर्याप्त हल्की होती है। रासायनिक ऊर्जा को स्टोर कर सकते हैं और इसे बिजली में परिवर्तित कर सकते हैं। इसलिए इसका उपयोग रिचार्जेबल बैटरी में किया जाता है। एक टन लीथियम की कीमत 57.36 लाख रुपए है। इससे जिस देश के पास लिथियम का अधिक भंडार होगा, उसे भविष्य में काफी महत्व मिलेगा।
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