
देशभर में होली का त्योहार बड़ी ही खुशी के साथ मनाया जाता है। कई रीति रिवाज और कई परंपराएं अलग अलग जगह देखने को मिलती है। मेवाड़ में भी कई सारी जगह परंपरा है। कई जगह बारूदों से होली खेली जाती है तो कई जगह नारियल की होली जलाई जाती है।
आज हम बात करेंगे बारूद की होली की जहां पर आप रंगों और फूलों की होली तो देखी होगी मगर होली के एक दिन बाद यानी जमरा बीज पर मेवाड़ में उदयपुर से 60 किलोमीटर की दूरी पर मेहता गढ़ मेनार जहां पर बारूद से होली खेली जाती है और यह होली भी उस शौर्य पर्व को याद करके खेली जाती है। क्योंकि जब मुगलों का राज हुआ करता था उस समय जो लोग थे वो बहुत परेशान थे। उस समय मेनार में भी मुगलों की छावनी थी और लोग काफी परेशान रहते थे।
तो एक समाचार मिला था कि पास में वल्लभनगर की जो छावनी है वहां पर लोगों ने जीत हासिल कर ली है। तो मेनार के जो लोग थे उन्होंने भी अपनी रणनीति बनाई। उस गेर के नाम की रणनीति बनाई जो छावनी के लोग थे। जो मुगल थे उनको बुलाया और उनके साथ गेर खेली और वह गेर इस तरह बदल गई कि आखिरकार मुगलों को भागना पड़ा। आज भी वो परंपरा कायम है। करीब 500 वर्ष हो चुके हैं और 500 वर्ष में उस परंपरा को याद किया जाता है।
जानकारी के अनुसार, मेहता गढ़ में होली के दिन युद्ध का नजारा पेश किया जाता है। बारूद से और पटाखे फोड़कर होली मनाई जाती है।
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