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जिस चंद्रमा को हम दूर से देखते हैं, उसमें भारत का चंद्रयान तीन मिशन भेजा जा रहा है। इसरो के इस मिशन को लेकर अब पूरी तैयारी हो चुकी है। भारत के चंद्रयान तीन मिशन पर दुनिया भर की निगाहें टिकी हुई हैं। भारत अपना यह ज्ञान चंद्रमा के उस हिस्से पर उतारने जा रहा है, जहां अभी तक कोई भी देश नहीं पहुंच सका।

हिंदुस्तान का चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर उतरेगा, लेकिन चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचना आसान नहीं माना जाता क्योंकि यहां सूरज सिर्फ क्षितिज में होता है, जिसकी वजह से लंबी लंबी परछाई बनती है। इसी वजह से सतह पर कुछ साफ दिखाई नहीं देता। हालांकि इन सबके बीच कई लोगों के मन में यह सवाल भी आ रहा है कि आखिर भारत चंद्रयान तीन मिशन से क्या हासिल करने जा रहा है।

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को दोपहर 03:35 बजे पर लॉन्च होने वाला चंद्रयान तीन भारत का तीसरा चंद्र मिशन है। यह 2019 के चंद्रयान दो मिशन का हिस्सा है। 7 सितंबर साल 2019 यह वो दिन था जब भारत ने लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह पर भेजा था। लेकिन मंजिल के करीब पहुंचते ही लैंडर विक्रम क्रैश हो गया।

दरअसल लैंडर और रोवर चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर पाया था, जिस वजह से यह मिशन फेल हो गया। इसके बाद चंद्रयान तीन को चांद पर भेजा जा रहा है। चंद्रयान तीन को चंद्रमा पर भेजने के लिए एलवीएम थ्री लॉन्चर का इस्तेमाल किया जा रहा है। चंद्रयान थ्री की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड दो से होगी। अब आते हैं मुद्दे की बात पर। चंद्रयान तीन का प्राइमरी पर्पस है, चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना है। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर सटीक लैंडिंग हासिल करने में भारत की तकनीकी क्षमताओं को दिखाना है।

चंद्रयान तीन चंद्रमा पर घूमने और एक्सप्लोर करने की अपनी क्षमता दिखाने के लिए चंद्रमा की सतह पर एक रोवर तैनात करेगा। रोवर चांद के एनवायरमेंट के बारे में बहुमूल्य डेटा इकट्ठा करेगा। चंद्रयान तीन मिशन का लक्ष्य चंद्रमा पर इन सीटू साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स करना है। यह प्रयोग चंद्रमा की सतह की संरचना, भूवैज्ञानिक विशेषताओं यानी की जियोलॉजिकल फीचर्स और कई सारी विशेषताओं के बारे में जानकारी देना है। 

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