
भारत सरकार द्वारा लोकसभा में ‘ऑपरेशन महादेव’ और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर कड़ी टिप्पणियाँ की। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस विशेष रूप से सुरक्षा मामलों को वोट‑बैंक की राजनीति के तहत लेती है, जिससे राष्ट्रीय हित बाधित होते हैं। शाह ने स्पष्ट किया कि ‘ऑपरेशन महादेव’ को किसी धार्मिक गठरूप में नहीं, बल्कि एक निर्णायक सुरक्षा कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए ।
राज्यसभा में उन्होंने बताया कि ऑपरेशन महादेव में पहलगाम हमले के तीन लश्कर‑ए‑तैयबा आतंकी—सुलेमान, अफगानी, और जिब्रान—को मार गिराया गया, जिनकी पहचान वोटर आईडी, चॉकलेट, राइफल जैसी वस्तुओं और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के जरिए हुई ।
शाह ने विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस की उस टिप्पणी पर भी सवाल उठाया जिसमें इस ऑपरेशन के समय को लेकर आलोचना की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऑपरेशन महादेव की सफलता की सराहना करते हुए इसे “बहादुर आतंकवादियों के सफाए” वाला कदम बताया ।
संसद में अमित शाह ने विपक्ष की नाराज़गी का जिक्र करते हुए कहा कि इस तरह की वोट‑बैंक आधारित राजनीति से देश हित बाधित होता है। उन्होंने विशेष रूप से कांग्रेस को आतंकवाद पर नरमी बरतने का आरोप लगाते हुए कहा कि ऑपरेशन महादेव को पहचान की दृष्टि से नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए ।
परिणामस्वरूप शाह ने कांग्रेस पर जिस प्रकार से वोट‑बैंक और धार्मिक विभाजन की राजनीति करने का आरोप लगाया, वह संसद में विपक्ष–सत्ताधारी बीच गर्मागर्म बहस का केंद्र बन गया। विपक्ष ने प्रधानमंत्री की प्रत्यक्ष टिप्पणी की मांग करते हुए राज्यसभा से वॉकआउट भी किया, जो राजनीतिक टकराव को और गहरा करता प्रतीत हुआ ।
इस तरह, अमित शाह का कहना है कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा संचालित ऑपरेशन को धार्मिक पदचिह्नों में नहीं देखना चाहिए, बल्कि उसे आतंकवाद के खिलाफ एक सशक्त और निर्णायक कदम माना जाना चाहिए।
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