
चीन और नेपाल ने अपना अपना नया नक्शा जारी किया और दोनों देशों ने भारत के कई इलाके को अपनी सीमा के अंदर दिखाया। हैरान कर देने वाली बात यह है कि केपी शर्मा ओली की सरकार ने जिस नक्शे को चीन के इशारे पर जारी किया और भारत के कई इलाकों को अपने नक्शे में दिखाया, आज उसी नक्शे को चीन ने ही मानने से मना कर दिया है।
नेपाल की तत्कालीन ओली सरकार ने कालापानी लिपूलेख और लिबिया धूरा को नेपाल का इलाका बताया था, जो बीते कई दशकों से भारत का हिस्सा है। इस बीच चीन को भी एक बड़ा झटका लगा है। चीन ने भी हाल ही में अपना एक नया नक्शा जारी किया था, जिसमें उसने भारत के अरुणाचल प्रदेश और पूरे साउथ चीन सागर को अपने इलाके के तौर पर दिखाया।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि नेपाल में चीन निरंतर अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। भारत और नेपाल सदियों से एक दूसरे के बेहद करीब रहे हैं। मगर अब चीन ने नेपाल में अपनी दखल बढ़ाना शुरू कर दिया है। चीन नेपाल को लालच दे रहा है और लगातार उसे भारत के विरूद्ध भड़काने की कोशिश कर रहा है और नेपाल द्वारा जारी किया गया विवादित नक्शा चीन के उसी उकसावे का नतीजा था। मगर अब नेपाल और चीन के बीच ही इस नक्शे को लेकर विवाद शुरू हो गया है।
चीन से भिड़े कई देश
वहीं दूसरी ओर चीन ने भी भारत को उकसाने के लिए जिस नक्शे को जारी किया था, अब उस नक्शे का ना सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के कई और देशों ने ही विरोध शुरू कर दिया है। चीन के कथित स्टैंडर्ड मैप पर भारत की तरह ही फिलिपीन्स और मलेशिया ने भी भारी आपत्ति जताई है। चीन ने अपने मैप में पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन क्षेत्र को चीन के हिस्से के रूप में दिखाया था जिसपर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
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