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मणिपुर के दौरे पर पहुंचे विपक्षी गठबंधन इंडिया के 21 सांसदों के दल ने शनिवार को राहत शिविरों में पीड़ितों से मिलकर उनका दर्द जाना। इस दौरान पीड़ित अपना दर्द बयां करते हुए रो पड़े।

बता दें कि पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर पिछले तीन महीने से जातीय हिंसा की आग में झुलस रहा है। कूकी और मैतेई समुदाय आमने सामने हैं। कब कहां से गोली चल जाए कोई नहीं जानता। हजारों लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। आए दिन नए नए ऐसे वीडियो भी सामने आ रहे हैं, जो मणिपुर के भयावह हालात की तस्वीर बयां कर रहे हैं। मणिपुर के मुद्दे पर देश में खूब सियासत भी हो रही है। सड़क से संसद तक हंगामा बरपा हुआ है।

इस बीच विपक्षी सांसदों का एक दल मणिपुर में जमीनी हकीकत जानने के लिए पहुंचा है। विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया के कई सांसदों ने राहत शिविरों में पहुंचे पीड़ितों से मुलाकात की और उनका दर्द जाना।

इसके साथ ही उन महिलाओं के परिवारों से भी मुलाकात की जिन्हें 4 मई को निर्वस्त्र कर दौड़ाया गया था, जिनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। टीएमसी सांसद सुष्मिता देव और डीएमके सांसद कनिमोझी हिंसा में पीड़ित महिलाओं से मुलाकात करने के लिए पहुंची। इस दौरान पीड़ित महिलाओं में से 1 की मां ने गुजारिश की कि वे उसके पति और उसके बेटे का शव दिलवाने में उनकी मदद करें, जिनकी भीड़ ने हत्या कर दी थी।

पीड़ित महिलाओं ने बयां किया दर्द

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, सांसद सुष्मिता देव ने बताया कि पीड़ित महिलाओं की मां ने कहा कि उनकी बेटी के साथ बलात्कार किया गया। उसके पति और बेटे को भीड़ ने मणिपुर पुलिस की मौजूदगी में मार डाला। लेकिन आज तक एक भी पुलिस अधिकारी को निलंबित नहीं किया गया। इससे उन्हें बहुत बड़ा झटका लगा है। वे कह रहे हैं कि 1000 से अधिक लोगों की भीड़ थी और उन्होंने एक विशेष मांग की है जिसे मैं राज्यपाल के सामने उठाऊंगी।

टीएमसी सांसद ने यह भी बताया कि एक लड़की ने आरोप लगाया कि पुलिस के सामने उसके साथ रेप किया गया, लेकिन पुलिस ने उसकी मदद नहीं की। सांसद देव ने दावा किया कि पीड़िता अब पुलिस से डरती है। इससे साफ होता है कि किसी पीड़ित को पुलिस पर भरोसा नहीं है तो यह एक संवैधानिक संकट है।

 

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