13 सितंबर को जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जनपद में दहशतगर्दों के साथ झड़प में सेना के तीन अफसर शहीद हो गए। दहशतगर्दों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक कर्नल, एक मेजर और जम्मू कश्मीर पुलिस के एक डीएसपी शहीद हो गए। दो जवान के लापता होने की भी खबर है। मुठभेड़ में शहीद होने वालों में 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष और डीएसपी हुमायूं भट हैं।
सूत्रों की माने तो इस हमले के पीछे लश्करे तैयबा से जुड़े संगठन टीआरएफ का हाथ है। अफसरों का मानना है कि यह उन दहशतगर्दों का समूह है जिन्होंने 4 अगस्त को कुलगाम जिले के हनान क्षेत्र के उंचाई वाले इलाके में सेना के जवानों पर हमला किया था।
जानिए क्या है लश्करे तैयबा से जुड़ा संगठन?
यह साल 2019 में अस्तित्व में आया। अगस्त 2 019 में 370 हटने के बाद पाकिस्तान की मदद से लश्करे तैयबा ने आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर में लॉन्च किया। ये संगठन आतंकी युवाओं कोई और माध्यम से जोड़ता है। फिर उन्हें अपने नापाक मंसूबों जैसे दहशतगर्दों की भर्ती, घुसपैठ और जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान से हथियारों, नशीले पदार्थों की तस्करी करने जैसे कामों में लगाता है।
ये संगठन जम्मू कश्मीर में रहने वाले लोग भारत के खिलाफ भड़काने के साथ ही उनपर आतंकी गुटों में शामिल होने के लिए मनोवैज्ञानिक तरीके से दबाव भी डालते है। इस आतंकी संगठन ने जम्मू कश्मीर में रहने वाले कश्मीरी पंडित वहां रोजगार की तलाश में गए भारत के अन्य राज्यों के श्रमिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
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