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डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023 को संसद में पेश किया गया। जिसके बाद विपक्ष ने इस बिल का विरोध करना शुरू कर दिया है। इस बिल के फर्स्ट ड्राफ्ट में प्रिवेसी ही सवालों के घेरे में था, इसलिए सरकार ने इसे वापस ले लिया था। अब एक बार फिर से सरकार ने इसे मॉडिफाई करके पेश किया है। तो सबसे पहले हम यह जानते हैं कि यह बिल है क्या?

जानें क्या है डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2023

इस बिल के ड्राफ्ट को जुलाई में मंजूरी मिल गई थी। यह बिल लोगों के डिजिटल अधिकारों और उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। बिल जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन समेत दूसरे न्यायालयों में डेटा संरक्षण कानूनों का आधार बन सकता है। इस विधेयक में डेटा की वैधता, निष्पक्षता, पारदर्शिता, उद्देश्य, सीमा, डेटा, एक्युरेसी, स्टोरेज क्षमता, इंटिग्रिटी, गोपनीयता और निजता जैसे विषय शामिल हैं।

बिल की खास बात यह है कि यह कंपनियों पर ज्यादा जोर डाले बिना ही डेटा प्रोटेक्शन की बात करता है। बिल के फर्स्ट ड्राफ्ट से ही यह काफी ज्यादा चर्चा में रहा है। इस पर काफी ज्यादा बहस भी हुई क्योंकि विपक्षी पार्टियों का कहना है कि इससे व्यक्ति के मौलिक और निजी अधिकारों पर असर पड़ेगा। लेकिन सरकार का कहना है कि इस बिल का ऑब्जेक्टिव टेक्नॉलजी, हेल्थ, कम्युनिकेशन, बैंकिंग, फाइनांस, ई कॉमर्स और कई अन्य संगठनों के लिए जवाबदेही तय करनी है। इसमें पर्सनल डेटा के बारे में भी बताया गया है। यह बिल सिर्फ देश के अंदर डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोसेसिंग पर लागू होता है।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बिल में यह भी मेंशन किया गया है कि बिना पर्टिकुलर इंसान की परमिशन के सरकार उस इंसान के डेटा को एक्सेस नहीं कर सकती है। इस बिल के कानून बनने के बाद जुर्माना लगाने के लिए एक बोर्ड का गठन किया जाएगा। यह बिल सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर लागू होगा। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इसमें यह भी मेंशन किया गया है कि अगर किसी कंपनी पर डेटा ब्रीच के आरोप लगते हैं तो उस पर 200 करोड़ का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 

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